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UP में किसानों के लिए ‘आंसू’ बहाने वाली कांग्रेस अपने शासित राज्‍यों में कर रही है उनसे धोखा: सिद्धार्थ नाथ सिंह

Sinddharth Nath Singh: उत्‍तर प्रदेश सरकार(UP Government) के प्रवक्‍ता व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी कांग्रेस को आईना दिखाते हुए ट्वीट किया है। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस को नए किसान कानून से परेशानी है तो वह अपने शासित राज्‍यों में किसानों से दोहरा बर्ताव क्‍यों कर रही है।

लखनऊ। अपने को किसानों का हमदर्द बताने वाली कांग्रेस पार्टी का दोहरा चरित्र देश के सामने आ गया है। किसानों का हितैषी बन रही कांग्रेस अपने शासित राज्‍यों में किसानों का हक मार रही है। उत्‍तर प्रदेश में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य की दुहाई देने वाली कांग्रेस पर सवालिया निशान खड़े होने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस शासित राजस्‍थान और पंजाब के किसानों को उनकी फसल का न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य नहीं मिल पा रहा है। वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी यूपी दौरे के दौरान किसानों के हित को लेकर विलाप कर रही है। राजस्‍थान की गहलोत सरकार में किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। यहां पर एमएसपी से किसानों की फसलें नहीं खरीदी जा रही है। उत्‍तर प्रदेश सरकार के प्रवक्‍ता व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी कांग्रेस को आईना दिखाते हुए ट्वीट किया है। उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस को नए किसान कानून से परेशानी है तो वह अपने शासित राज्‍यों में किसानों से दोहरा बर्ताव क्‍यों कर रही है। छत्‍तीसगढ़ व राजस्‍थान में एमएसपी की कोई गारंटी क्‍यों नहीं है।

Siddharth Nath Singh

राजस्‍थान में किसानों को एमएसपी पर भुगतान क्‍यों नहीं किया जा रहा है। पंजाब में कांट्रेक्‍ट फार्मिंग पर किसानों को दंड क्‍यों दिया जा रहा है। उनका कहना है कि जब कृषि राज्‍य सरकार के अन्‍तर्गत आती है तो कांग्रेस ने अपने शासित राज्‍यों में इन कानूनों में क्‍यों बदलाव नहीं कर रही है। हालांकि कांग्रेस इन सवालों पर अपनी चुप्‍पी साधे हुए है।

Congress Akbar Road HQ

 

कानून बनाया लेकिन पालन नहीं

कृषि जानकारों के अनुसार राजस्‍थान में किसानों का बुरा हाल है। वहां की गहलोत सरकार ने किसानों की फसल एमएसपी से कम खरीद पर सजा का प्रावधान रखा है लेकिन किसानों का मजाक उड़ाते हुए पूरे राजस्‍थान में किसानों से एमएसपी से कम फसलें खरीदी जा रही है। वहीं, कई मंडियों में तो किसानों की फसलें खरीदी तक नहीं जा रही है। इससे किसानों को दूर दराज दूसरी मंडियों में जाना पड़ रहा है।