नई दिल्ली। लद्दाख के लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पर चीन की गतिविधियां बदस्तूर जारी हैं। वहां हालात स्थिर हैं, लेकिन अप्रत्याशित हैं। यानी चीन की तरफ से कभी भी कोई हरकत हो सकती है। ऐसे में भारतीय सेना के जवान हर संभव चौकसी बरत रहे हैं। आशंका से भरी ये जानकारी सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय ने शनिवार को दी। एक कार्यक्रम में जनरल पांडेय ने कहा कि चीन वाले कहते कुछ और करते कुछ हैं। ये उनके चरित्र का हिस्सा है। हमें उनके ग्रंथों की जगह देखना चाहिए कि वे कर क्या रहे हैं। सेना प्रमुख ने कहा कि एलएसी पर टकराव के 5 बिंदुओं का हल बातचीत से सुलझा लिया गया, लेकिन अभी डेमचोक और डेपसांग मसले का हल नहीं निकला है। हम 17वें दौर की बातचीत का इंतजार कर रहे हैं।
#WATCH | “Situation is stable but unpredictable,” says Indian Army Chief General Manoj Pande on situation in eastern Ladakh pic.twitter.com/MChDCyEZbZ
— ANI (@ANI) November 12, 2022
सेना प्रमुख ने ये जानकारी भी दी कि एलएसी पर चीन की सेना की संख्या कम नहीं हुई है। हालांकि, उसकी जो टुकड़ियां जाड़े से पहले ट्रेनिंग के लिए आई थीं, उनमें से कुछ वापस जा रही हैं। उन्होंने एलएसी पर बहुत सावधानी से काम जारी रखने की बात भी कही। जनरल पांडेय ने कहा कि भारत के हितों की रक्षा जरूरी है और हर तरह के संकट से निपटने की तैयारी भी। उन्होंने कहा कि अगर एक वाक्य में पूर्वी लद्दाख के हालात को बताना पड़े, तो मैं कहूंगा कि स्थिर लेकिन अप्रत्याशित है। जनरल मनोज पांडेय ने जानकारी दी कि एलएसी के पास चीन लगातार बुनियादी ढांचे तैयार कर रहा है। वो हवाई अड्डे, हेलीपैड और सड़कें बना रहा है। उन्होंने बताया कि हाइवे नंबर जी-695 को चीन ने एलएसी के समानांतर बनाया है। इससे उसे सेना को आगे बढ़ाने की क्षमता मिलेगी।
सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडेय ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जहां तक भारत की तैयारियों की बात है, तो सर्दियों के मौसम के हिसाब से हम सेना को तैनात कर रहे हैं। किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए हमारे पास पर्याप्त जवान और भंडार भी हैं। उसके बावजूद अपने हित और संवेदनशीलता की रक्षा के लिए एलएसी पर हमें अपनी गतिविधियों में बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। बता दें कि चीन और भारत के बीच एलएसी पर 2020 से काफी तनातनी है। यहां तक कि गलवान घाटी में चीन के जवानों से संघर्ष में कर्नल संतोष बाबू समेत कई जवानों की शहादत भी हुई थी। उस घटना के बाद भारत ने भी बड़े पैमाने पर पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जवान तैनात कर रखे हैं। साथ ही लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टर और ड्रोन की तैनाती भी वहां की गई है।