नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता UCC पर गलतबयानी और मोदी सरकार को धमकी देने वाले अंदाज में बयान देना ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड AIMPLB को भारी पड़ गया। ऐसी धमकी देकर बोर्ड तुरंत सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गया। यूजर्स ने बोर्ड को खरी-खोटी तो सुनाई ही। साथ ही ये भी साफ तौर पर कहा कि ऐसी धमकियों से सरकार अपने पैर पीछे नहीं खींचने वाली है। यूजर्स ने किस तरह और कैसे बोर्ड को फटकार लगाई, ये हम आपको बाद में बताएंगे। पहले आपको जानकारी देते हैं कि पर्सनल लॉ बोर्ड ने संविधान का नाम लेकर कैसे झूठ बोला और मोदी सरकार को धमकी दी।
दरअसल, मंगलवार शाम को ये चर्चा तेज हुई कि मोदी सरकार जून में समान नागरिक संहिता का बिल कैबिनेट में पास कर सकती है। इस पर पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने एक बयान जारी किया। लंबे-चौड़े इस बयान में झूठा दावा किया गया कि समान नागरिक संहिता लाना असंवैधानिक है और संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक जीवन जीने की मंजूरी देता है और ये मौलिक अधिकार है। मौलाना रहमानी ने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड या केंद्र सरकार की तरफ से समान नागरिक संहिता की बात करना असामयिक बयानबाजी है। मुसलमान इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे। पर्सनल लॉ बोर्ड इसकी कड़ी निंदा करता है और सरकार से ऐसे कदम उठाने से परहेज का आग्रह करता है।
All India Muslim Personal Law Board terms Uniform Civil Code an unconstitutional & anti-minorities step; calls it an attempt by Uttarakhand, UP and Central Govts to divert attention from inflation, economy & rising unemployment. AIMPLB also appeals to the Govt to not undertake it pic.twitter.com/HlIBsCaUbw
— ANI (@ANI) April 26, 2022
रहमानी ने अपने बयान में संविधान का नाम लेकर किस तरह गलतबयानी की, ये इसी से पता चलता है कि भारत का संविधान ही सरकार को समान नागरिक संहिता तय करने के लिए कहता है। संविधान के अनुच्छेद 44 में इस बारे में कहा गया है। यहां तक कि गोवा में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है, लेकिन पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसका कभी विरोध नहीं किया। जबकि, गोवा में भी मुसलमान रहते हैं। बहरहाल, अब आप ये भी देखिए कि बोर्ड महासचिव के धमकी भरे इस बयान पर सोशल मीडिया के यूजर्स ने किस तरह उन्हें फटकार लगाई है…
जिस Constitution की दुहाई दे रहे हैं ‘All India Muslm Personal Law Board’ वाले , उसी Constitution से quote कर रहा हूँ:
“Article 44 :Uniform civil code for the citizens : The State shall endeavour to secure for the citizens a uniform civil code throughout the territory of India.” https://t.co/jEe9JiSoJg pic.twitter.com/8vqRjNcHJQ
— RapperPandit ↗️ ॐ (@RapperPandit) April 26, 2022
I would suggest UCC should go for entire country and state should opt for two child norms !
Warna ye bekar ki bakwas and behes hoti rahegi.— Dolli (@desh_bhkt) April 26, 2022
UCC ka naam aate hi inke rongte khade ho jaate hain…jab achanak aa jaayega to chicha ko “kagaz dhoondne pad jaayenge”
— pooja anand (@centi2001) April 26, 2022
शाबाश!
तुमको पत्थर फेंकने के लिए शरीयत चाहिए और जब बुल्डोजर चले तो संविधान?
शादी के लिए शरीयत चाहिए लेकिन तलाक, तलाक, तलाक कह के छोड़ दो अगर उसपे संविधान बने तो वो तुम्हे मंजूर न हो।
मतलब तुम्हारे अनुसार चित्त भी मेरी, पट्ट भी मेरी ओर अंटा मेरे बाप का। ई ना चोलबे।
— Gaurav sanyal (@gaurav_sanyal07) April 26, 2022
ये कौन सा बोर्ड है? भारत मे सिर्फ़ संविधान का बोर्ड चलेगा और उसी संविधान के आर्टिकल 44 में समान नागरिक संहिता की बात की गई है, इसके शब्दों में ही जवाब है, समान नागरिक संहिता मतलब हर कोई सामान अधिकार पा सकेगा। इसमे ग़लत क्या है वो सांझा करें।
— Vikrant Singh (@_vikrantsingh) April 26, 2022