Afghanistan : तालिबान ने जिसे घोषित किया अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति, उसकी क्रूरता जानकर आप भी सहम जाएंगे

New President of Afghanistan : 1996 में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया। ऐसे में इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान में हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को शरिया अदालत का चीफ जस्टिस बनाया गया। हिब्तुल्लाह अखुंदजादा ने चीफ जस्टिस रहते हुए लोगों को काफी क्रूर सजाए दीं।

Avatar Written by: August 16, 2021 6:46 pm

नई दिल्ली। इस समय लगभग पूरे अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया है। ऐसे में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं। इसको लेकर उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि, लोगों का जीवन बचाने के लिए और खून-खराबा रोकने के लिए उन्होंने देश निकलने का कदम उठाया। वहीं अब तालिबान ने हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को अब अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति घोषित किया है। बता दें कि हिब्तुल्लाह अखुंदजादा अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है। 2001 में जब अमेरिका अफगानिस्तान में ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रहा था तो तमाम तालिबानी नेता, देश छोड़कर दूसरे देश चले गए थे, लेकिन हिब्तुल्लाह अखुंदजादा अफगानिस्तान में ही टिका रहा। हालांकि इस दौरान वह ज्यादा नहीं निकला और ना ही किसी देश की अधिक यात्रा की। अखुंदजादा को एक क्रूर कमांडर कहा जाता है। जिसने कातिलों और अवैध संबंध रखने वालों की हत्या करवा दी। इतना ही नहीं चोरी करने वालों के अखुंदजादा ने हाथ काटने की सजा दी।

बता दें कि 1961 के आस-पास हिब्तुल्लाह अखुंदजादा का जन्म अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के पंजवई जिले में हुआ था। नूरजई कबीले से ताल्लुक रखनेे वाले हिब्तुल्लाह अखुंदजादा के पिता मुल्ला मोहम्मद अखुंद एक धार्मिक स्कॉलर थे। वो गांव की ही मस्जिद में इमाम थे। हालांकि उनके पास जमीन संपत्ति नहीं थी। ऐसे में मस्जिद में मिलने वाले दान के पैसों से अपना घर चलाते थे। हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को तालीम भी पिता से ही मिली है।

साल 1980 के शुरुआता में सोवियत यूनियन की सेना अफगानिस्तान में आ चुकी थी। उसी के संरक्षण में अफगान सरकार चला रही थी। इन मुजाहिदीनों को अमेरिका और पाकिस्तान से मदद मिलती थी। इस दौरान हिब्तुल्लाह अखुंदजादा का परिवार पाकिस्तान के क्वेटा जाकर रहने लगा और चला गया और अखुंदजादा ने भी हथियार उठा लिए। 1989 में जब सोवियत यूनियन ने अपनी सेना अफगानिस्तान से वापस बुला ली तो इसके खिलाफ लड़ रहे लोग आपस में ही भिड़ने लगे। जिसके बाद मुल्ला उमर नाम का लड़ाका कुछ पश्तून युवाओं का समूह बनाकर तालिबान आंदोलन शुरू किया। उसमें हिब्तुल्लाह अखुंदजादा भी शामिल हो गया।

वहीं 1996 में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया। ऐसे में इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान में हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को शरिया अदालत का चीफ जस्टिस बनाया गया। हिब्तुल्लाह अखुंदजादा ने चीफ जस्टिस रहते हुए लोगों को काफी क्रूर सजाए दीं। जैसे- हत्यारों और अवैध संबंध रखने वालों की हत्या करने का आदेश देता, तो वहीं चोरी करने वालों के हाथ ही कटवा देता था। खासकर वो फतवा जारी करने के लिए जाना जाता है। फतवों के मामले में मुल्ला उमर और मुल्ला मंसूर दोनों तालिबान चीफ अखुंदजादा से सलाह मशविरा करते थे।

2013 में  तालिबान के फाउंडर मुल्ला मोहम्मद उमर की बीमारी से मौत हो गई। इसके बाद तालिबान की कमान हकीमुल्लाह मसूद ने संभाली, लेकिन 2013 ड्रोन अटैक में उसकी भी मौत हो गई। बाद में 2015 में मुल्ला मंसूर को तालिबान ने अपना नया नेता चुने जाने का ऐलान किया। लेकिन मई 2016 में ड्रोन हमले में मुल्ला मंसूर की भी मौत हो गई। फिर बाद में 25 मई 2016 को तालिबान की कमान हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को सौंपी गई। माना जाता है कि मंसूर अपनी वसीयत में इसका नाम लिखा था।