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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की शिवलिंग पर अब नहीं चढ़ा पाएंगे पंचामृत

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) में अब श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) को नहीं रगड़ सकेंगे। वहां पर दूध चढ़ाने की अनुमति भी सीमित मात्रा में और कुछ ही लोगों को मिलेगी। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना अहम फैसला सुनाया है।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन (Ujjain) महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) में अब श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) को नहीं रगड़ सकेंगे। वहां पर दूध चढ़ाने की अनुमति भी सीमित मात्रा में और कुछ ही लोगों को मिलेगी। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना अहम फैसला दे दिया। जिसमें शिवलिंग (Shivling) को क्षरण से बचाव के लिए तमाम आदेश पारित किए। अदालत ने कहा है कि मंदिर के शिवलिंग पर कोई भी भक्त पंचामृत नहीं चढ़ाएगा, बल्कि वह शुद्ध दूध से पूजा करेंगे। अदालत ने मंदिर कमिटी से कहा है कि वह भक्तों के लिए शुद्ध दूध का इंतजाम करेंगे और ये सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी अशुद्ध दूध शिवलिंग पर न चढ़ाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के शिवलिंग के संरक्षण के लिए तमाम आदेश पारित किए हैं। जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में फैसला सुनाया। जस्टिस अरुण मिश्रा ने अपने कार्यकाल के आखिर में ये फैसला सुनाया। फैसला सुनाते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव की कृपा से ये आखिरी फैसला भी हो गया।

supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग को क्षरण से बचाने और संरक्षित करने केलिए तमाम आदेश पारित किया है। इसके तहत कहा गया है कि कोई भी भक्त शिवलिंग पर किसी भी पंचामृत आदि से लेप न करें। भस्म आरती को बेहतर किया जाए ताकि पीएच वैल्यू सही हो और शिवलिंग संरक्षित रहेें। इसके लिए बेहतर से बेहतर तरीका अपनाया जाए। शिवलिंग पर मुंडमाल का भार कम किया जाए। इस बात पर विचार किया जाए कि क्या मेटल वाला मुंडमाल अनिवार्य है।

दही, घी के लेपन से खराब हो रही शिवलिंग

अदालत ने कहा कि दही, घी और मधु लेपने (रब) करने के कारण शिविलिंग का घिसाव व क्षरण हो रहा है। ये सही होगा कि सीमित मात्रा में शुद्ध दूध शिवलिंग पर चढ़ाया जाए। परंपरागत पूजा सिर्फ शुद्ध वस्तुओं से होती रही है। पुजारी व पंडित इस बात को सुनिश्चित करें कि कोई भी भक्त शिवलिंग को किसी भी हाल में न लेपें। अगर कोई भी भक्त ऐसा करता पाया जाता है तो पुजारी की जिम्मेदारी होगी। कोई भी भक्त शिवलिंग को लेपेगा या मलेगा नहीं बल्कि मंदिर द्वारा परंपरागत पूजा होगी। गर्भगृह में पूजा स्थल की 24 घंटे रेकॉर्डिंग की जाएगी और छह महीने तक रेकॉर्डिंग को संरक्षित किया जाएगा। कोई भी पुजारी इस मामले में आदेश का उल्लंघन करते हैं तो मंदिर कमिटी एक्शन ले सकती है। कोई भी भक्त पंचामृत नहीं चढ़ाएंगे बल्कि मंदिर द्वारा परंपरागत पूजा में इसका इस्तेमाल हो सकता है। मंदिर कमिटी शुद्ध दूध का अपने श्रोत से इंतजाम करेंगे, ताकि वह दूध भक्त शिवलिंग पर चढ़ाएं और कमिटी सुनिश्चित करे कि अशुद्ध दूध शिवलिंग पर न चढ़ाया जाए।

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मंदिर के स्ट्रक्चर को लेकर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

अदालत ने रुड़की सीबीआरआई से कहा है कि वह मंदिर के स्ट्रक्चर के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश करें। उज्जैन के एसपी और कलेक्टर से कहा गया है कि वह मंदिर के 500 मीटर के दायरे में अतिक्रमण हटाएं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आर्कियोलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के एक्सपर्ट कमिटी से सुझाव मांगे थे कि कैसे मंदिर के स्ट्रक्चर और शिवलिंग के क्षरण को रोका जाए और शिवलिंग को संरक्षित किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि मंदिर की एक्सपर्ट कमिटी को निर्देश दिया जाता है कि वह मंदिर के बारे में 15 दिसंबर 2020 तक रिपोर्ट पेश करें कि किस तरह से मंदिर के शिवलिंग को प्रोटेक्ट किया जा सके और मंदिर के स्ट्रक्चर को संरक्षित किया जा सके। अदालत ने कहा कि कमिटी सलाना सर्वे रिपोर्ट पेश करे।