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किसान आंदोलन पर SC की टिप्पणी, केंद्र सरकार को लगाई फटकार, कहा- आप कर क्या रहें हैं?, कहें तो हम कानून के अमल पर लगाएं रोक

दिल्ली की सीमा पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों (Farmers Law) के खिलाफ प्रदर्शन (Farmer Protests) कर रहे किसान अड़े हुए हैं। ऐसे में सोमवार को किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई हुई।

नई दिल्ली। देश में तीन कृषि कानूनों (Farmers Law) के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmer Protests) सोमवार को भी जारी है। विरोध प्रदर्शन का आज 48वां दिन है। कड़ाके की ठंड के बीच किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार ये कानून वापिस ले लें। इन सबके बीच सोमवार को किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि जिस तरह सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है हम उससे खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया।

Farmers Protest

इसके अलावा उन्होंने कहा कि आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं। लोग मर रहे हैं, आत्महत्या कर रहे हैं। हम नहीं जानते क्यों महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है। खैर, हम कमिटी बनाने जा रहे हैं। किसी को इस पर कहना है तो कहे।

अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के ऐसे फैसले हैं जो कहते हैं कि कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि डेढ़ महीने से किसानों को ठंड में बैठाकर आज सरकार किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है इससे स्पष्ट होता है कि 3 कानूनों को वापस लेने का सरकार का इरादा नहीं है, किसानों की जो जान जा रही है उसकी भी उन्हें परवाह नहीं है।

टिकरी बॉर्डर से किसान नेता ने कहा कि कल हम सिरसा कालावाणी में ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, 13 जनवरी को पूरे देश में 3 काले कानूनों के प्रतियां जलाएंगे, 15 जनवरी को सिरसा टोल प्लाजा से एक काफिला दिल्ली के लिए रवाना होगा और 26 जनवरी के लिए हम पूरे देश में रिहर्सल कर रहे हैं।

सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान बॉर्डर पर लोहड़ी पर्व की तैयारियां कर रहे हैं।

सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 48वें दिन भी जारी है। किसान मज़दूर संघर्ष समिति के प्रेस सचिव ने बताया, “अब सरकार ने दूसरी रणनीति शुरू कर दी है। वे फर्जी किसान संगठन लेकर आ रहे हैं। हमको चुनौती देने के लिए छोटे मोटे संगठन खड़े कर रहे हैं।”