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Farmers Protest: किसान महापंचायत को SC ने लगाई फटकार, ‘तो क्या अब दिल्लीवालों का गला दबाना चाहते हैं’

किसान महापंचायत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी  गयी थी। इसी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को फटकारते हुए कहा कि राजमार्गो को अवरुद्ध करने और शहर का गला घोंटने के बाद, प्रदर्शनकारी अब विरोध करने के लिए अंदर आना चाहते हैं।

नई दिल्ली। पिछले कई महीनों से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। किसान आंदोलन की वजह से अवरुद्ध रास्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को कड़ी फटकार लगाई है। किसान महापंचायत की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी गयी थी। इसी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को फटकारते हुए कहा कि राजमार्गो को अवरुद्ध करने और शहर का गला घोंटने के बाद, प्रदर्शनकारी अब विरोध करने के लिए अंदर आना चाहते हैं। किसान महापंचायत की तरफ दाखिल याचिका पर सुनावाई करते हुए न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर ने कहा, “आप अपना विरोध जारी रखने के साथ-साथ अदालत में नहीं आ सकते हैं।” पीठ ने संगठन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से पूछा कि क्या वे भी न्यायिक प्रणाली का विरोध कर रहे हैं। पीठ किसान महापंचायत की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें तीन कृषि कानूनों के विरोध में सत्याग्रह करने की अनुमति मांगी गई थी। याचिका में संयुक्त किसान मोर्चा के किसानों को सत्याग्रह के आयोजन की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

Farmers Protest

किसान महापंचायत की याचिका पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

आपको बता दें कि किसान महापंचायत के वकील ने पीठ के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल दिल्ली पुलिस से अनुमति मांग रहे हैं। पीठ ने उनसे कहा कि कानूनों को चुनौती देने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाने के बाद विरोध जारी रखने का क्या मतलब है? सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत की याचिका पर सुनवाई कर रही पीठ ने कहा कि  “अगर आपको अदालतों पर भरोसा है, तो विरोध करने के बजाय तत्काल सुनवाई के लिए उसका अनुसरण करें।” पीठ ने वकील से यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन संपत्ति को नष्ट नहीं कर सकते।

Kisan mahapanchayat

‘अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद विरोध का कोई उद्देश्य नहीं’

मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि संगठन के अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद विरोध का कोई उद्देश्य नहीं है। उन्होंने कहा, “जब आप विरोध करना चाहते हैं तो अदालत जाने का कोई उद्देश्य नहीं है।” पीठ ने याचिका की प्रति एजी के कार्यालय को देने का आदेश दिया और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 4 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया।