बेटी बांसुरी ने सुषमा स्वराज की ‘आखिरी इच्छा’ को कुछ इस तरह किया पूरा
साल्वे ने हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में जाधव मामले की सुनवाई के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व 1 रुपये की फीस पर किया था। लेकिन हरीश साल्वे को उनकी फीस मिलने से पहले ही सुषमा स्वराज का निधन हो गया था। अब हरीश साल्वे को उनकी फीस मिल गई है।
नई दिल्ली। दिवंगत पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज ने अपनी मां की आखिरी इच्छा को पूरा किया है। दरअसल पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने निधन से कुछ समय पहले वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से बातचीत की थी। जिसमें उन्होंने साल्वे को उनसे मिलकर अपनी केस फीस एक रुपया ले जाने के लिए कहा था। साल्वे ने हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में जाधव मामले की सुनवाई के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व 1 रुपये की फीस पर किया था। लेकिन हरीश साल्वे को उनकी फीस मिलने से पहले ही सुषमा स्वराज का निधन हो गया था। अब हरीश साल्वे को उनकी फीस मिल गई है।
सुषमा स्वराज के पति और मिजोरम के पूर्व गवर्नर स्वराज कौशल ने ट्वीट कर कहा, ‘हमारी बेटी बांसुरी स्वराज ने मिस्टर साल्वे से शुक्रवार को मुलाकात की और उन्हें एक रुपया भेंट किया।’
@sushmaswaraj Bansuri has fulfilled your last wish. She called on Mr.Harish Salve and presented the One Rupee coin that you left as fees for Kulbhushan Jadhav’s case. pic.twitter.com/eyBtyWCSUD
— Governor Swaraj (@governorswaraj) September 27, 2019
सुषमा स्वराज ने अपने निधन से महज एक घंटे पहले वकील हरीश साल्वे को आकर बतौर फीस एक रुपये ले जाने को कहा था। साल्वे ने बताया था कि जब उनका (सुषमा) फोन आया तो उस वक्त हम दोनों काफी भावुक हो गए थे। उन्होंने मुझे उनके पास आने को कहा। उन्होंने कहा कि मुझे आपको केस में जीत हासिल करने के लिए आपकी फीस देनी है। मैंने भी उनसे कहा कि जरूर, मैं आकर अपना अनमोल फीस लूंगा।
क्या है मामला
पाकिस्तान ने मार्च 2016 को जासूसी के आरोप में भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद से वह भारतीय अधिकारियों को उनसे मिलने नहीं दे रहा था।
इसके बाद पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को मौत की सजा सुनाई। जिसका भारत ने विरोध किया और मामले को आईसीजे में उठाया। जहां भारत की जीत हुई और जाधव की फांसी की सजा पर रोक बरकरार रखने और उन्हें राजनयिक पहुंच देने का निर्देश दिया गया।