नई दिल्ली। तबलीगी जमात से संबंधित सभी लोगों की रिहाई को लेकर दिल्ली हाइकोर्ट में गुरुवार को याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि जमात के लोगों को क्वारंटाइन के नाम पर 35 दिनों से अधिक समय से क्वारंटाइन केंद्रों में बंद किया गया है। इन सभी की रिहाई की मांग इस याचिका में की गई है। कोर्ट याचिका पर कल यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
सूत्रों के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि तबलीगी जमात के 3300 सदस्यों को 40 दिनों से अलग-अलग क्वारंटाइन केंद्रों में रखा गया है। इनकी कोविड-19 की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी इन्हें जाने नहीं दिया गया। इसमें 14 दिनों के क्वारंटाइन के दिशानिर्देश का पालन करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने को कहा गया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि क्या सदस्यों को निरंतर ऐसे रखना संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है, एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की मांग की गई है।
Plea moved in Delhi High Court seeking immediate release of all persons related to Tabligi Jamaat, alleging that they are detained for more than 35 days in the name of quarantine centers. Matter to be heard tomorrow. pic.twitter.com/MFx6Kc0tIz
— ANI (@ANI) May 14, 2020
सामाजिक कार्यकर्ता सबीहा क़ादरी ने याचिका में आरोप लगाया है कि कई लोगों को अवैध तरीके से पृथक-वास केंद्रों में रखा गया है और इन केंद्रों में रह रहे कई लोगों ने प्राधिकारियो को पत्र लिखे हैं लेकिन उन पर विचार नहीं किया गया। वकील शाहिद अली के जरिए दायर की गई इस याचिका के अनुसार प्राधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में नाकाम रहे हैं और उन्होंने इसमें लापरवाही बरती है। याचिका में संगठन के दो सदस्यों की मौत की जांच करने के लिए एक समिति गठित करने की मांग भी की गई है, जिनकी क्वारंटाइन केंद्र में मौत हो गई थी। साथ ही अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग भी की है।
बता दें कि दिल्ली सरकार पर भी कई बार जमातियों को जबरन क्वारंटाइन केंद्रों में बंद करके रखने के आरोप लगाए गए हैं। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस प्रकार का आरोप दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर लगाया था। हालांकि दिल्ली सरकार ने तबलीगी जमात के लोगों की क्वारंटाइन सेंटर से रिहा करने के आदेश दे दिए हैं।
बता दें 31 मार्च को कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, मर्कज हजरत निजामुद्दीन से तबलीगी जमात के कई सदस्यों को अधिकारियों ने निकाला था और फिर इन्हें दिल्ली के विभिन्न क्वारंटाइन केंद्रों में भेज दिया गया। उनमें से कुछ को विभिन्न मस्जिदों से हिरासत में लिए जाने के कुछ दिनों बाद केंद्रों में भेजा गया।