नई दिल्ली। इन दिनों हिदुंस्तान में हर जगह मंदिर-मस्जिद का मुद्दा गरमाया हुआ है। हर जगह मंदिर बनाम मस्जिद पर चर्चा हो रही है। ऐसे में कई राजनीतिक दल के नेता भी इस मुद्दे के जरिए अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम बखूबी कर रहे हैं। इसके अलावा कई आम लोग ऐसे भी हैं जो इस मुद्दे के बारे में अनाप-शनाप बातें कर सोशल मीडिया पर जमकर अफवाह फैला रहे हैं। यह मुद्दा अब कोर्ट में है, लेकिन कई लोग अब कोर्ट द्वारा लिए गए फैसलों पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
मुसलमान एकजुट हो जाए- पीएफआई
इसी कड़ी में मंदिर-मस्जिद विवाद में अब PFI यानी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया भी कूद गया है। पीएफआई ने कुछ ऐसी बातें की है, जिससे आम हिंदुस्तानी का पारा गरमा सकता है। पीएफआई ने ज्ञानवापी मुद्दे और देश में हो रही मंदिर-मस्जिद विवाद पर मुसलमानों से अपील की है कि वो मस्जिदों के बारे में जो बाते वर्तमान में हो रही हैं, उसका विरोध करें। अगर साफ शब्दों में कहे तो पीएफआई ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि वो मंदिर-मस्जिद विवाद का विरोध करें। इसके लिए पीएफआई ने बकायदा एक पत्र भी जारी किया है। इस पत्र में पीएफआई ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि मस्जिदों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ जारी कार्यवाहियों का विरोध करें।
मुस्लिम पूजा स्थलों के खिलाफ जारी चालों का करें प्रतिरोध : पॉपुलर फ्रंट#PressRelease pic.twitter.com/MWBsxEgVC8
— Popular Front of India (@PFIOfficial) May 26, 2022
PFI ने सुप्रीम कोर्ट पर खड़े किए सवाल
इतना ही नहीं, पीएफआई देश के मुसलमान को भड़काने के साथ हिंदुस्तान की न्यायपालिका पर भी सवाल खड़े किए। PFI ने सुप्रीम कोर्ट के ज्ञानवापी मस्जिद में वजूखाने पर प्रतिबंध लगाए जाने के लिए कहा कि यह निराशाजनक है। इसके बाद पीएफआई ने कहा कि अदालत ने इस प्रकार के दावों को तथ्यों के आधार पर परखने की जरूरत नहीं समझी। इससे आने वाले दिनों में कोई कहीं भी किसी भी पूजा स्थल में अपना दावा कर सकता है।
क्या है PFI?
अक्सर अपने विचारों और वक्त-वक्त में भड़काऊ बयानों के लिए पहचाने जाने वाली PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) एक इस्लामिक संगठन है। पीएफआई के अनुसार वह देश के मुसलमानों की आवाज उठाने के लिए एक आवाज है। पीएफआई का गठन 2007 को केरल में किया गया था। कहा जाता है कि इसकी प्रमुख जड़े केरल में ही बहुत गहरी हुई और विकसित हुई, जिसके बाद इस विवादित संगठन ने पुरे देश में अपने पैर पसारने शुरू किए। आजकल इसका हेड ऑफिस दिल्ली के शाहीन बाग में बताया जाता है। शाहीन बाग वहीं जगह है, जहां पर सीएए और एनआरसी के विरोध में पुरे 100 दिन तक आंदोलन चला था।