नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के आरोप में जमानत पर चल रहे जिग्नेश मेवानी की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। मामला पांच साल पहले का है, जब जिग्नेश मेवानी, NCP नेता रेशमा पटेल और सुबोध परमार ने सरकारी नोटिस का उल्लंघन करके बिना इजाजत रैली का आयोजन किया था। अब गुजरात के मेवानी को महेसाणा कोर्ट (Mehsana Court) ने गुरुवार को जिग्नेस मेवानी, रेशमा पटेल समेत 12 लोगों को तीन महीने के लिए जेल की सजा सुनाई है। इन सब दोषियों ने साल 2017 में बिना प्रशासन की इजाजत के रैली का आयोजन किया था। जिग्नेश मेवानी को पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बात कहने के आरोप में असम पुलिस ने गुजरात से गिरफ्तार किया था। हांलाकि, इसके बाद जिग्नेश को जमानत मिल गई थी।
उसके बाद जेल में एक महिला पुलिसकर्मी से बत्तमीजी के आरोप में भी जिग्नेश मेवानी को गिरफ्तार किया गया था। इस केस में भी जिग्नेश को जमानत मिल गई और वो आजकल जमानत पर बाहर थे। फिलहाल, असम पुलिस ने जिग्नेश की जमानत के खिलाफ गुवाहाटी हाईकोर्ट में अपील दायर की है। वहीं, अगर दूसरी तरफ रेशमा पटेल की बाद की जाए तो वर्तमान में वो NCP के साथ हैं, लेकिन पहले रेशमा बीजेपी में ही शामिल थीं। 2017 में चुनाव से पहले, उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की थी और फिर 2019 में उन्होंने बीजेपी से ये कह कर इस्तीफा दे दिया था कि अब बीजेपी सिर्फ एक मार्केंटिग पार्टी बन कर रह गई है।
कोर्ट ने लगाई फटकार
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, कोर्ट ने जिग्नेश और उसके साथियों को बिना अनुमति के रैली करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। मजिस्ट्रेट जे ए परमार ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि रैली करने में किसी भी तरह का अपराध नहीं है, लेकिन बिना अनुमति के रैली करना अपराध की श्रेणी में आता है। इस तरह की हरकत को नजरअंदाज या माफ नहीं किया जा सकता है।