Cryogenic Engine Facility: अब एक ही छत के नीचे बन पाएंगे ISRO के सभी रॉकेट इंजन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देने जा रही क्रायोजेनिक इंजन फैसिलिटी की सौगात

Cryogenic Engine Facility: किसी भी रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए क्रायोजेनिक इंजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका इस्तेमाल लॉन्च व्हीकल में किया जाता है। भारत से पहले इस तकनीक का इस्तेमाल फ्रांस,जापान,अमेरिका, चीन और रूस करता है

Avatar Written by: September 27, 2022 9:46 am

नई दिल्ली। रॉकेट इंजन की दुनिया में भारत ने एक बड़ा और सराहनीय कदम उठाया है। जिस काम को पूरा करने के लिए भारत कई सालों से कोशिश कर रहा था और अमेरिका के अड़ंगा लगाने की वजह से जो काम पूरा नहीं हो सकता, अब वो पूरा होने वाला है। दरअसल भारत काफी समय से  क्रायोजेनिक इंजन को भारत में बनाने की कोशिश कर रहा था। इस पहल को पूरा करते हुए देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज देश को एक पूरी मैन्युफैक्चरिंग-फैसिलिटी इकाई समर्पित करने जा रही है। द्रौपदी मुर्मू आज  बेंगलुरु में इंटीग्रेटेड क्रायोजेनिक इंजन मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी (ICMF) का उद्धाटन करने वाली हैं।

अमेरिका लगा रहा था अड़ंगा

किसी भी रॉकेट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए क्रायोजेनिक इंजन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका इस्तेमाल लॉन्च व्हीकल में किया जाता है। भारत से पहले इस तकनीक का इस्तेमाल फ्रांस,जापान,अमेरिका, चीन और रूस करता है लेकिन अब इस लिस्ट में भारत का नाम भी शामिल हो गया है। अंतरिक्ष लिहाज के तौर पर भी क्रायोजेनिक इंजन तकनीक बेहद जरूरी है। सबसे पहले भारत ने 2014 में जीएसएलवी-डी 5 सैटेलाइट लॉन्च के लिए स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया था। इसे हमारे ही देश की प्राइवेट कंपनियों की मदद से ही तैयार किया गया था।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने तैयार की इंटीग्रेटेड फैसिलिटी 

एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत क्रायोजेनिक इंजन बनाए। अमेरिका ने खुद का सर्वोपरि दिखाने के लिए रूस समेत भारत को क्रायोजेनिक इंजन की तकनीक देने से मना कर दिया था। जिसकी वजह से भारत में स्पेस-प्रोग्राम काफी समय तक बाधित रहा था। 90 के दशक में इसी क्रायोजेनिक इंजन विंग के प्रमुख रहे पूर्व नम्बी नारायण को साजिश में फंसा कर जेल में डाल दिया था। गौरतलब है कि भारत के बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने क्रायोजेनिक इंजन की इंटीग्रेटेड फैसिलिटी तैयार ली है। जहां इंजन बनाने से लेकर उनकी टेस्टिंग आसानी से की जा सकेगी। इसमें खास बात ये है कि सब सभी रॉकेट इंजन एक की छत के नीचे बनाए जा सकेंगे।