newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Bengal SSC scam: बस इतने नंबर ला कर मंत्री की बेटी को मिल गई नौकरी और खुल गई घोटाले की पोल, SSC स्कैम ने इस तरह बंगाल की सियासत में आया भूचाल

Bengal SSC scam: बता दें कि  राज्‍य के माध्यमिक श‍िक्षा बोर्ड के तहत श‍िक्षण और गैर श‍िक्षण पदों पर कई नियुक्तियां पर साल 2016 में परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा का परिणाम  27 नवंबर 2017 आया था। परीक्षा की लिस्ट में टॉप 20 में  बबीता सरकार का नाम सामने आया था। उन्होंने परीक्षा में 77 अंक हासिल किए थे।

नई दिल्ली।पश्चिम बंगाल में ममता सरकार में उद्योग और वाणिज्य मंत्री पार्थ चटर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ईडी बीते तीन दिन से पार्थ के घर और ठिकानों पर लगातार छापेमारी कर रही हैं। इसी कड़ी में अर्पिता मुखर्जी का नाम सुर्खियों में बना हुआ है। अर्पिता वहीं हैं जिसके घर से ईडी ने छापेमारी कर 20 करोड़ का कैश बरामद किया है। फिलहाल ईडी की जांच जारी है और विभाग ने कार्रवाई करते हुए पार्थ और अर्पिता दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने 22 जुलाई की रात तक पार्थ से पूछताछ की और अगली सुबह उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसी बीच स्कूल सेवा आयोग (SSC) के तहत श‍िक्षा विभाग में ग्रुप सी और डी की भर्तियों में हुए घोटाले का मामला गर्मा गया है।  इसी मामले के तहत पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया है। तो चलिए ये जानते हैं कि ये घोटाला क्या है।

क्‍या है पश्चिम बंगाल का एसएससी घोटाला?

बता दें कि  राज्‍य के माध्यमिक श‍िक्षा बोर्ड के तहत श‍िक्षण और गैर श‍िक्षण पदों पर कई नियुक्तियां पर साल 2016 में परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा का परिणाम  27 नवंबर 2017 आया था। परीक्षा की लिस्ट में टॉप 20 में  बबीता सरकार का नाम सामने आया था। उन्होंने परीक्षा में 77 अंक हासिल किए थे। लेकिन आयोग ने बाद में इस लिस्ट को रद्द कर दिया। आयोग ने बाद में दूसरी लिस्ट निकाली जिसमें बबीता का नाम वेटिंग लिस्ट में चला गया। इसी बीच चौंकाने वाली बात ये रही कि लिस्ट में 16 नंबर कम लाने वाली एक अधिकारी की लड़की का नाम शामिल हो गया। ये लड़की शिक्षा राज्य मंत्री परेश अधिकारी की बेटी थी। जिसके बाद मामला प्रकाश में आया।

मंत्री की बेटी को लौटानी पड़ी थी सैलरी

बबीता ने मामले की शिकायत की और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बबीता का कहना है कि कम नंबर लाने के बाद भी अधिकारी की बेटी को नौकरी दी गई। कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लिया और समिति का गठन किया। जांच में पाया गया कि घोटाले में शामिल अधिकारी ने कुछ खास उम्मीदवारों को अपनी ओएमआर उत्तर पुस्तिकाओं के लिए आरटीआई लगाने और पुनर्मूल्यांकन का आवेदन किया था और मैरिट लिस्ट में नाम एड कराया था। साथ ही ओएमआर शीट में भी हेराफेरी की बात सामने आई थी। मामले में कई अधिकारियों के खिलाफ जांच की गई। घोटाले में  सौमित्र सरकार,अशोक कुमार साहा,कार्यक्रम अधिकारी समरजीत आचार्य और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (WBBSE) के अध्यक्ष डॉ कल्याणमय गांगुली के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे और सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज उसके ही पास थे। मंत्री की बेटी को अपनी सैलरी भी लौटानी पड़ी थी।