Farmers Protest: कृषि कानून के विरोध में एक तरफ भूख हड़ताल की धमकी, दूसरी तरफ तोमर से मिलकर किसानों ने समर्थन में सौंपा ज्ञापन

Farmers Protest: एक तरफ जहां किसान नए कृषि कानून (Agriculture law) के खिलाफ इस कड़ाके की सर्दी में प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ किसान इन कानूनों का समर्थन भी कर रहे हैं। रविवार को पश्चिमी यूपी के किसानों ने कृषि भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और नए कानूनों का समर्थन करते हुए ज्ञापन सौंपा।

Avatar Written by: December 20, 2020 8:10 pm

नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में किसान सड़कों पर हैं। आज किसान आंदोलन का 25 वां दिन है। ऐसे में किसानों की एक ही मांग है कि इन तीनों कृषि कानूनों को समाप्त किया जाए और फिर सरकार के साथ बैठकर वह बातचीत करेंगे। सरकार और किसानों के बीच हुई सारी वार्ताएं फेल हो चुकी हैं। वहीं सरकार की तरफ से भी यह संकेत दे दिए गए हैं कि कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा। ऐसे में किसान आंदोलन का रूख और सख्त होता जा रहा है।

Farmers leader meet with Narendra Singh Tomar2

इस सब के बीच खबर आ रही है कि गृह मंत्री अमित शाह के कहने पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों के आंदोलन को समाप्त करवाने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों से सोमवार या मंगलवार को मुलाकात कर बातचीत करेंगे। वहीं एक तरफ जहां किसान नए कृषि कानून के खिलाफ इस कड़ाके की सर्दी में प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ किसान इन कानूनों का समर्थन भी कर रहे हैं। रविवार को पश्चिमी यूपी के किसानों ने कृषि भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और नए कानूनों का समर्थन करते हुए ज्ञापन सौंपा।


इससे पहले किसान संगठनों ने एक संयुक्त पत्र लिखकर इस बात पर नाराजगी जताई है कि किसानों को विपक्ष ने गुमराह किया है। इस पत्र को किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखा है।

हिंद मजदूर-किसान समिति ने कृषि बिल के समर्थन में निकाली ट्रैक्टर रैली

जहां एक तरफ दिल्ली में कई किसान संगठन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिलों के खिलाफ में धरने पर बैठे हैं तो वहीं कुछ किसान संगठन ऐसे भी हैं जो इन कानूनों का समर्थन भी कर रहे हैं। ऐसे में अपना समर्थन दिखाते हुए रविवार को मेरठ में हिंद मजदूर किसान समिति की तरफ से कृषि कानूनों को लेकर ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। इस मार्च को निकालने वाले किसानों की मंशा मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का समर्थन करना है। बता दें कि ये ट्रैक्टर मार्च मेरठ में से शुरू होकर गाजियाबाद तक निकाली गई। इस ट्रैक्टर रैली के दौरान देशभक्ति संगीत से प्रदर्शनकारी अपना हौसला बढ़ाते रहे। गौरतलब है कि हिंद मजदूर किसान समिति की ओर से केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले किसानों का रामलीला मैदान इंदिरापुरम में सम्मेलन होगा। इसके लिए मंच तैयार किया गया है। सुरक्षा के लिहाज से जगह-जगह पुलिस बल तैनात किया गया है। बता दें कि मिली जानकारी के मुताबिक इस रैली में 400 ट्रैक्टर और ट्राली से किसान मेरठ से गाजियाबाद के लिए चले हैं।

इस रैली के दौरान लोगों ने दलालों से छुटकारा कृषि बिल हमारा जैसा नारा भी लगाया। मार्च की वजह से परतापुर बाईपास पर सैकड़ों वाहनों से जाम की स्थिति हो गई। कृषि बिल के समर्थन में ट्रैक्टर ट्रॉली, अन्य वाहनों से मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों के सैकड़ों की संख्या में लोग नारेबाजी करते हुए इंदिरापुरम के लिए रवाना हुए।

tractor rally Gaziabad

वहीं दिल्ली में कृषि बिलों का विरोध कर रहे लोगों को लेकर ट्रैक्टर मार्च निकालने वाले लोगों का कहना था कि कृषि कानून का विरोध करने वाले किसान नहीं हैं। किसानों को विपक्ष द्वारा भ्रमित किया जा रहा है। वह सच्चाई बताने के लिए दिल्ली जा रहे हैं। परमधाम न्यास से जुड़े हिंद मजदूर किसान समिति की ओर से यह आयोजन किया गया है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग दिल्ली रवाना हुए हैं। किसान आंदोलन के बीच समर्थन में रविवार को यह पहला बड़ा कार्यक्रम है।

कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान नेताओं ने किया आगे का ऐलान

इस सब के बीच अब किसान नेताओं ने इस बात का ऐलान किया है कि वह कल भूख हड़ताल करेंगे और साथ ही हरियाणा में सभी टोल नाके को फ्री किया जाएगा। मतलब कल से किसान कोई भी टोल टैक्स नहीं देंगे। हरियाणा के किसानों के लिए कहा गया है कि वह 25 से 27 दिसंबर तक कोई टोल नहीं देंगे। इस बात का ऐलान स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने किया। वहीं भारतीय किसान यूनियन के जगजीत सिंह दलेवाला की तरफ से अपील की गई है कि 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘मन की बात’ कार्यक्रम कर रहे होंगे तो उसी समय पर सभी लोग अपने घरों पर थाली बजाएं।


इसके अलावा किसान नेता राकेश टिकैत ने इस मौके पर कहा कि इन तीन कृषि कानूनों के विरोध में 23 दिसंबर को किसान दिवस मनायेंगे। साथ ही उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वह एक दिन के लिए दोपहर का भोजन नहीं पकाएं। उन्होंने इस बात की भी घोषणा की कि जब तक ये तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए जाएंगे और MSP को लेकर कोई ठोस कानून नहीं बनेगा तब तक किसान यहां से नहीं जाएंगे।