नई दिल्ली। करीब ढाई साल सरकार पर बने रहने के बाद आखिरकार उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की सत्ता गवानी पड़ी। एक तरफ हाथ से सत्ता जाने का जख्म अभी ठाकरे परिवार को दर्द दे रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ एक और नया संकट उनके सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। चुनौती है कि शिवसेना से भी कहीं ठाकरे को हाथ न धोना पड़े। हालांकि, बीते दिन बुधवार को उद्धव ठाकरे ने अपने आखिरी बयान में दावा किया कि शिवसेना उनसे कोई नहीं छीन सकता। भले ही ठाकरे इस बात से कितना ही इंकार करें लेकिन पार्टी गंवाने का संकट उनके सामने है। ठाकरे की जिंदगी में आए इस बवंडर का कारण उन्हीं के करीबी रहे एकनाथ शिंदे है। शिंदे ने पार्टी के विधायकों में इतनी जबरदस्त सेंध लगाई है कि ठाकरे के पैरों तले जमीन खिसक गई। वहीं, अब ऐसा भी माना जा रहा है कि शिंदे अगर थोड़ी और कोशिश कर लें, तो ठाकरे परिवार को शिवसेना का सिंबल यानी चुनाव चिन्ह भी उनसे छीन सकते हैं।
बुधवार को अपने पद से इस्तीफा देने से पहले उद्धव ठाकरे भावुक हुए और उन्होंने कहा कि उनकी रुचि ‘संख्याबल के खेल’ में नहीं है। यही कारण है कि वो अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने वेबकास्ट पर कहा, ‘‘मैं विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं।’’ ठाकरे ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि बागी विधायकों को लौटने दें, उनके खिलाफ वो सड़क पर प्रदर्शन करने नहीं उतरें।
आज मी आपल्या सगळ्यांच्या समोर मुख्यमंत्री पदाचा त्याग करत आहे..
आज पर्यंत खूप प्रेम, आशीर्वाद दिले.. pic.twitter.com/0XXs5ZHSOg— Office of Uddhav Thackeray (@OfficeofUT) June 29, 2022
पद छोड़ने का अफसोस नहीं- उद्धव
एकनाथ शिंदे और अपने ही विधायकों की बगावत का सामना कर रहे ठाकरे ने मायूसी से कहा कि उन्हें अपने पद से इस्तीफा देने में किसी तरह का कोई अफसोस नहीं है। उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे की वजह से राजनीतिक रूप से बढ़े बागियों को उनके (बालासाहेब) बेटे के मुख्यमंत्री पद से हटने पर खुश और संतुष्ट होने दें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं संख्याबल के खेल में शामिल नहीं होना चाहता हूं। मैं शर्मिंदा महसूस करूंगा अगर मैं देखूंगा कि पार्टी का एक भी सहयोगी मेरे खिलाफ खड़ा है।’’ बता दें, बुधवार शाम को गुवाहाटी में डेरा डाले बागी विधायक वहां से विशेष विमान में रवाना हुए और गोवा पहुंचे। बागियों के वहां पहुंचने को लेकर मुंबई में सुरक्षा बढ़ा दी गई। इस दौरान कई शिवसैनिकों को हिरासत में भी ले लिया गया।
मी पुन्हा शिवसेना भवनमध्ये बसायला सुरुवात करणार आहे. माझ्या शिवसैनिकांना भेटणार आहे.
शिवसैनिकांपासून ठाकरे कुटुंबियांना कोणीच हिरावून घेऊ शकत नाही.. pic.twitter.com/ieI9J2rDe8— Office of Uddhav Thackeray (@OfficeofUT) June 29, 2022
पार्टी का पुनर्निर्माण करेंगे- ठाकरे
बागियों के गुवाहाटी जाने को लेकर भी शिवसेना प्रमुख ने अपनी बात रखी। शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘आपकी समस्या क्या थी? सूरत और गुवाहाटी जाने के बजाय आप सीधे मेरे पास आ सकते थे और अपनी राय रख सकते थे। शिवसेना आम लोगों की पार्टी है और उसने कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है।’’ इसके आगे ठाकरे ने कहा कि वो पार्टी का पुनर्निर्माण भी करेंगे। अपने बयान में आगे ठाकरे ने कहा, ‘‘मैं शिवसैनिकों का साथ खड़ा रहने के लिए धन्यवाद व्यक्त करता हूं। जो शिवसेना की वजह से राजनीतिक रूप से बढ़े वे असंतुष्ट हैं जबकि जिन्हें कुछ नहीं मिला वे निष्ठावान हैं।’’