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Unemployment Data: सरकारी आकड़ों के द्वारा हुआ खुलासा, चार साल के निचले स्तर पर है बेरोजगारी दर

Unemployment Data: साल 2018 के बाद ये दर अप्रैल के बाद अपने सबसे कम स्तर पर है। अब जो नए आकड़े सामने आए हैं ये मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन ने जारी किए हैं।

नई दिल्ली। बार-बार बेरोजगारी के नाम पर वर्तमान सरकार को घेरने वालों लोगों व विपक्ष के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। अब बेरोजगारी को लेकर जो आकड़े सामने आए हैं, वे खुश करने वाली है। दरअसल, वित्त वर्ष 2022-23 के पहली तीमाही में शहरी बेरोजगारी दर गिरकर 7.6 फीसदी निचले स्तर पर आ गई है। जानकारी के लिए बता दें कि साल 2018 के बाद ये दर अप्रैल के बाद अपने सबसे कम स्तर पर है। अब जो नए आकड़े सामने आए हैं ये मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन ने जारी किए हैं। ये हर साल एक रिपोर्ट जारी करके इस प्रकार के आकड़े देश के सामने रखते हैं। इसी कड़ी में 14 जून को जारी हुए हालिया रिपोर्ट के मूताबिक हिंदुस्तान की बेरोजगारी दर जुलाई 2020-जून 2021 में 4.2 फीसदी पर आ गई है। इससे माना जा सकता है कि 2022 में बेरोजगारी दर में गिरावट ग्रोथ होने के ये तेजी का संकेत हैं।

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ये रहा बेरोजगारी को मापने का तरीका

इससे अलावा बीते 31 अगस्त को जीडीपी के भी आकड़े सामने आए थे। जिसमें पता चला कि चालू वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में भारत की GDP 13.5 फीसदी की दर से बढ़ी, लेकिन ये अनुमान के मूताबिक कम थी। इसके पीछे की वजह ये है कि जून 2020 की तिमाही में जीडीपी 15 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। बावजूद इसके ये साल की सबसे तेज ग्रोथ रही। यहां पर आपको बता दें कि महिलाओं और पुरुषों दोनों की ही बेरोजगारी दर में 60 बेसिस प्वाइंट्स की गिरावट भी आई। इन सब आकड़ों के बाद आपके मन में ख्याल आ रहा होगा कि आखिर बेरेजगार की श्रेणी में कौन से व्यक्ति आते हैं? आपकी इसी जिज्ञासा को कम करते हुए बता दें कि पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे जो कि एक शहरी बेरोजगारी रिपोर्ट का हिस्सा होता है और इसे हर तिमाही पर जारी किया जाता है। इसमें मौजूद हफ्ते की स्थिति को आधार बनाकर बेरोजगारी दर को मापा जाता है। इस दौरान किसी भी वयक्ति को तभी बेरोजगार माना जाता है, जब उसे किसी एक दिन में एक घंटे के लिए काम न मिला हो।