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Laxmi Singh: UPSC की टॉपर, अपराधियों के लिए काल, प्रभावित कर देगी यूपी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह की कहानी

Laxmi Singh : उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध एक समय पर आम बात लगती थी और लक्ष्मी सिंह को संगठित अपराध को काबू में करने के लिए अभियानों का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता रहा है। बतौर जिले की पुलिस कप्तान उन्होंने वाराणसी, चित्रकूट, गोंडा, फर्रुखाबाद, बागपत और बुलंदशहर में अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान संगठित अपराध के सरगना और माफियाओं को निशाना बनाया।

नई दिल्ली। भारत में UPSC जैसी प्रतिष्ठित परीक्षा में पास होना हर किसी का ख्वाब होता है। प्रशासन में बड़े पदों पर तैनाती और राज्य के या केंद्र के सचिवालय तक पहुंच, यूपीएससी का जलवा ही कुछ ऐसा है। लेकिन यूपीएससी की परीक्षा भारत की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक है। इस परीक्षा को पास करने के लिए कई लोग परिश्रम करते हैं और अपनी लगन से यूपीएससी की परीक्षा में सफल भी होते हैं। यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करना और फिर अपने देश के लिए कार्य करना सभी के सौभाग्य में नहीं होता है लेकिन किसी ने सही कहा है ना कि पंखों से नहीं हौंसलों से उड़ान होती है। ऐसा ही कुछ करके दिखाया है यूपी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने जो हाल ही में नोएडा की पुलिस चीफ नियुक्त हुई हैं। आइए समझते हैं कौन हैं यूपी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह।


राज्य में पहली बार चुनी गई महिला पुलिस कमिश्नर

हाल ही में राज्य की योगी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर पद पर लक्ष्मी सिंह को तैनात कर दिया गया है। लक्ष्मी सिंह की गिनती अब नोएडा की टॉप पुलिस अधिकारियों में होगी। उत्तर प्रदेश कोई भी महिला पुलिस अधिकारी अभी तक इस पद तक नहीं पहुंची है। ऐसा करने वाली वह राज्य की पहली महिला पुलिस अधिकारी बन गई हैं। दरअसल, यूपी सरकार ने सोमवार आधी रात को एक बड़े फेरबदल के तहत तीन नवगठित कमिश्नरेट के लिए नए पुलिस आयुक्तों की नियुक्ति कर दी। इसी के साथ नोएडा और वाराणसी के पुलिस आयुक्तों का तबादला भी कर दिया। राज्य सरकार ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी), लखनऊ रेंज, लक्ष्मी सिंह को नोएडा का प्रभार देते हुए राज्य की पहली महिला पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है। वह आलोक सिंह का स्थान लेंगी, जिन्हें लखनऊ में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुख्यालय में तैनात किया गया है।

तेजतर्रार रवैया अपनाकर कसी अपराधियों की नाक में नकेल

लक्ष्मी सिंह की गिनती यूपी के तेज-तर्रार पुलिस अधिकारियों में होती है। गौर करने वाली बात ये है कि पहले भी अपने कार्यकाल के दौरान उनका डंडा अपराध नियंत्रण से लेकर डकैतों तक पर खूब चला है। उनके पति राज राजेश्वर सिंह हैं। राजेश्वर सिंह ईडी में अधिकारी थे। अभी भाजपा के सरोजनीनगर से विधायक हैं। लेकिन इस समय उनके पति से ज्यादा लक्ष्मी सिंह की चर्चाएं पूरे देश में हो रही हैं।

यूपीएससी टॉपर से लेकर लाजवाब अधिकारी तक का सफर

अगर लक्ष्मी सिंह के यूपीएससी कैरियर की बात करें तो एक इंटेलिजेंट परीक्षार्थी रहने के अलावा अबतक वह एक सफल अधिकारी साबित हुई हैं। लक्ष्मी सिंह यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा 2000 में 33वां स्थान हासिल किया था। हालांकि, आईपीएस बैच की वे टॉपर रही थीं। इसके बाद उन्होंने आईपीएस के तौर खासी सुर्खियां बटोरी। उन्हें कार्य को पूरा करने में शानदार प्रदर्शन और जिम्मेदारी निभाने के लिए तमाम तरह के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। बता दें कि राज्य में पुलिस सेवा में रहते हुए लक्ष्मी सिंह ने एक अलग ही मुकाम हासिल किया है। मुख्यमंत्री उत्कृष्ट सेवा पुलिस पदक से सम्मानित आईपीएस लक्ष्मी सिंह को प्रदेश के सबसे बेहतरीन अधिकारियों में से एक माना जाता है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिला दो लाख का इनाम

आपको बता दें पीटीएस मेरठ को उनके कार्यकाल के दौरान देश का नंबर वन संस्थान घोषित किया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 2 लाख रुपये का इनाम भी दिया गया। सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस अकेडमी हैदराबाद में ट्रेनिंग के दौरान लक्ष्मी सिंह बेस्ट प्रोबेशनर घोषित की गई थी। वर्ष 2000 बैच की आईपीएस अधिकारी लक्ष्मी सिंह को पीएम की ओर से सिल्वर बेटन भी मिल चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुरस्कार स्वरूप उन्हें 9 एमएम की पिस्टल भी भेंट की थी।

संगठित अपराध को काबू करने में रहीं एक्सपर्ट

उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध एक समय पर आम बात लगती थी और लक्ष्मी सिंह को संगठित अपराध को काबू में करने के लिए अभियानों का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता रहा है। बतौर जिले की पुलिस कप्तान उन्होंने वाराणसी, चित्रकूट, गोंडा, फर्रुखाबाद, बागपत और बुलंदशहर में अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान संगठित अपराध के सरगना और माफियाओं को निशाना बनाया। जन शिकायतों को निपटाने और पुलिस कर्मियों की समस्याओं के निवारण में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। डकैत और दुर्दांत अपराधी भी उनका निशाना बनते रहे हैं।

एक छवि : एनकाउंटर स्पेशलिस्ट लक्ष्मी सिंह

लक्ष्मी सिंह कई एनकाउंटर को लीड कर चुकी हैं। एसटीएफ में डीआईजी के पद पर तैनाती के दौरान लक्ष्मी सिंह की ताबड़तोड़ कार्रवाई की चर्चा होती है। पुलिस मॉडर्नाइजेशन में उनके कार्य की सराहना होती है। कंप्यूटराइजेशन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा लक्ष्मी सिंह को सम्मानित किया है। आपको बता दें कि लक्ष्मी सिंह ने अपनी स्कूलिंग के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। इसके बाद उन्होंने यूपीएसएसी परीक्षा दी थी और अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने 33वीं रैंक हासिल हुई थी। साल 2004 में उनकी पहली पोस्टिंग एसएसपी के रूप में हुई थी।

यूपीएससी परीक्षार्थी से सर्वश्रेष्ठ प्रोबेशनर तक का सफर

गौरतलब है कि कि अपनी ट्रेनिंग के समय हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल अकेडमी से उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रोबेशनर का पुरस्कार भी मिला दिया गया था। साल 2014 में वह डेप्युटी आईजी नियुक्त हुई थी और फिर साल 2018 में आईजी के रूप में उन्हें नियुक्त किया गया था। आपको बता दें कि आईपीएस लक्ष्मी सिंह साल 2018 में गौतमबुद्ध नगर में एसटीएफ के आईजी भी रह चुकी हैं।

मेरठ के साथ रहा है पुराना नाता

इसके साथ उन्होंने मेरठ में भी कुछ समय गुजारा है जब वह मेरठ के पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में आईजी भी रही थी। इसके बाद उन्हें साल 2020 में लखनऊ ट्रांसफर किया गया था। हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा का पुलिस चीफ नियुक्त किया है और अब वह यूपी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर बन चुकी हैं।