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बिहार की सफलता के बाद यूपी में समीकरण साध रहे ओवैसी, जानिए किसे होगा फायदा और कौन उठाएगा नुकसान

Uttar Pradesh Assembly Election: ओवैसी(Owaisi) अगर नया समीकरण बनाने में सफल होते हैं तो इसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) को ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में मुसलमानों के बीच ओवैसी की भी लोकप्रियता अधिक है।

नई दिल्ली। राजनीतिक दलों ने 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर अपने-अपने समीकरण और गठबंधन अभी से बनाने की कवायद शुरू कर दी है। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों की जीत से AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी काफी उत्साहित हैं। ऐसे में उन्होंने आने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। ओवैसी ने बिहार की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी छोटे-छोटे दलों को मिलाकर बड़ा गठबंधन बनाने की जुगत लगाई है। इसके लिए असदुद्दीन ओवैसी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर  की लखनऊ में मुलाकात भी हुई। इससे अलावा ओवैसी ने सपा से अलग होकर पार्टी बनाने वाले शिवपाल यादव की तारीफ भी की। ऐसे में अब माना जा रहा है कि जो ‘खेल’ ओवैसी ने बिहार में खेला वही अब यूपी में खेलने को तैयार हैं। अब तय हैं कि ओवैसी नए समीकरण के साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।

Owaisi

सपा की परेशानी

बता दें कि ओवैसी अगर नया समीकरण बनाने में सफल होते हैं तो इसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी को ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी में मुसलमानों के बीच ओवैसी की भी लोकप्रियता अधिक है। ऐसे में मुस्लिम वोटों को अपना आधार वोट बैंक समझने वाले अखिलेश यादव को जरूर झटका लग सकता है। अगर ओवैसी यूपी चुनावी मैदान में छोटे दलों के साथ गठबंधन करके मैदान में उतरते हैं तो तय है कि जो वोट सपा के लिए निर्णायक साबित होते हैं वो सपा को ना जाकर AIMIM के पास जा सकते हैं। ऐसे में सपा प्रत्यक्ष रूप से परेशानी का सामना कर सकती है।

Akhilesh Yadav

सपा के बेस वोट बैंक में सेंध

बता दें यूपी में सपा की राजनीति ही यादवों और मुस्लिम वोटों पर टिकी हुई है। ऐसे में उसमें सेंध लगना सपा के लिए बुरी खबर होगी। अब बात करते हैं ओवैसी के नए समीकरण से हो रहे भाजपा के फायदे की। बता दें कि राज्य की प्रमुख पार्टियों का कमजोर होना ही भाजपा के लिए सबसे बड़ा फायदा होगा। सपा के बेस वोटों का खिसकना भाजपा के लिए शुभ संकेत समान है। भाजपा भी यही चाहती है कि ओवैसी जितना सपा के मुस्लिम वोटों में सेंध लगाएंगे, भाजपा को उतना ही फायदा मिलेगा।

OP Rajbhar Owaisi

शिवपाल की तारीफ

वहीं नए समीकरण की तलाश में असदुद्दीन ओवैसी ने सामाजवादी प्रगतिशील पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि शिवपाल बड़े नेता हैं और उनसे भी बातचीत हो रही है। बता दें कि शिवपाल यादव ने भी हाल ही में असदुद्दीन ओवैसी की तारीफ करते हुए धर्मनिरपेक्ष नेता बताया था। ऐसे में अब कयास लगाए जा रहे हैं कि असदुद्दीन ओवैसी 2022 चुनाव में छोटे दलों के मजबूत गठबंधन बनाकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।

मायावती के साथ भी गठबंधन की उम्मीद

ओवैसी की प्लानिंग साफ है कि, वो छोटे-छोटे दलों को मिलाकर नया राजनीतिक विकल्प सूबे में तैयार कर रहे हैं। ओम प्रकाश राजभर के साथ मिलकर ओवैसी बिहार चुनाव में किस्मत आजमा चुके हैं और यूपी में वे छोटे दलों के साथ मिलाकर चुनाव लड़ने की कवायद में जुटे हुए हैं। इसके अलावा ओवैसी की पार्टी मायावती के साथ भी गठबंधन करने के संकेत दे चुकी ह।