नई दिल्ली। देश के नौ राज्यों ने कोरोना टीकाकरण अभियान को बड़ा झटका दिया है। इन राज्यों की घोर लापरवाही के चलते ही देश में टीकाकरण अभियान धीमा हुआ है। आलम यह है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास अभी भी कोविड वैक्सीन की 1.65 करोड़ डोज उपलब्ध हैं। कोविड टीके की डोज उपलब्ध होने के बावजूद उसे न लगाना, इसी घोर लापरवाही का प्रतीक है। हैरानी की बात यह है कि यही राज्य टीकों की कमी का रोना रो रहे हैं और केंद्र पर मनमाने आरोप लगा रहे हैं।
सबसे पहले उन राज्यों के नाम जानिए जहां टीकाकरण के नाम पर देश के साथ इस तरह का शर्मनाक धोखा किया है। इसमें राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली शामिल हैं। ये वही राज्य हैं जो वैक्सीन की कमी का रोना रोते हुए इसके लिए पीएम को जिम्मेदार ठहराने का अभियान चला रहे थे।
Note how all 10 states faltering on vaccination are non BJP states meaning mostly @RahulGandhi party states – this is exactly how forces opposed to @narendramodi are trying everything to defeat him! https://t.co/zw3lhPVjvI pic.twitter.com/6lhiXjjhCK
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) June 7, 2021
इन राज्यों को जनवरी, फरवरी और मार्च में केंद्र की ओर से टीकों की अच्छी खासी सप्लाई हुई। इसके बावजूद इन्होंने आम लोगों को वैक्सीन नहीं लगवाई। इस बीच कोरोना की दूसरी लहर ने कितनो को ही अपना शिकार बना लिया।
आंकड़े इन राज्यों में टीकों के नाम पर की गई इस भयावह अंधेरगर्दी की पुष्टि करते हैं। राजस्थान को इन तीन महीनों में दी गई 1.06 करोड़ खुराक में से केवल 0.57 करोड़ ही इस्तेमाल की गई। इसी अवधि में पंजाब को दी गई 0.29 करोड़ खुराक में से लगभग 840,000 ही इस्तेमाल की गई।
छत्तीसगढ़ को मिली 0.43 करोड़ खुराक में से 0.19 करोड़ ही इस्तेमाल की गई। तेलंगाना में 0.41 करोड़ में से केवल 0.13 करोड़ वैक्सीन ही इस्तेमाल की गई। आंध्र प्रदेश को मिली 0.66 करोड़ वैक्सीन में से 0.26 करोड़ और झारखंड में 0.31 करोड़ में से लगभग 0.16 करोड़ इस्तेमाल की गई।
केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली ने भी इस सिलसिले में लापरवाही की सारी सीमाएं तोड़ दीं। केरल को दी गई 0.63 करोड़ वैक्सीन में से 0.34 करोड़ ही इस्तेमाल हुई। इधर, महाराष्ट्र ने केंद्र द्वारा दी गई 1.43 करोड़ खुराक में से केवल 0.62 करोड़ खुराक का ही इस्तेमाल किया। बात-बात पर टीकों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराने वाले अरविंद केजरीवाल की सरकार भी इस मामले में सोती रही। दिल्ली में 0.44 करोड़ में से 0.24 करोड़ को ही इस्तेमाल किया गया।