विकास दुबे एनकाउंटर पर कांग्रेस ने उठाए कुछ ऐसे सवाल, जो कर सकते हैं यूपी पुलिस को परेशान
शुक्रवार की शाम कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश को बीजेपी सरकार के नेतृत्व में अपराध प्रदेश में तब्दील कर दिया गया है।
नई दिल्ली। कानपुर मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार को यूपी STF द्वारा एनकाउंटर में मार गिराया गया। इस एनकाउंटर को लेकर योगी सरकार की पुलिस पर विपक्षी दल हमलावर हुए हैं। विरोधी दलों का कहना है कि, ये एनकाउंटर पूरी तरीके से सुनियोजित था। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि अगर विकास जिंदा रहता तो योगी सरकार चली जाती। वहीं पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शायराना अंदाज में लिखा- कई जवाबों से अच्छी है खामोशी उसकी, ना जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।
इसके अलावा कांग्रेस की तरफ से यूपी पुलिस पर संदेह करते हुए 10 से अधिक सवाल पूछे गए हैं। शुक्रवार की शाम कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश को बीजेपी सरकार के नेतृत्व में अपराध प्रदेश में तब्दील कर दिया गया है। विकास दुबे संगठित अपराध का एक मोहरा था। उस संगठित अपराध का सरगना असल में है कौन? विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद अनेकों सवाल सार्वजनिक जेहन में खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब आदित्यनाथ सरकार को देना होगा।
रणदीप सुरजेवाला ने मांग करते हुए कहा कि, इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट के एक सीटिंग जज से जांच करवानी चाहिए, जिससे सच क्या है, सबके सामने आ सके।
कांग्रेस की तरफ से पूछे गए सवाल..
- विकास दुबे का नाम 25 मोस्ट वांटेड अपराधियों की लिस्ट में शामिल क्यों नहीं था?
- क्या विकास दुबे शासन में बैठे लोगों का राजदार था? क्या उसे सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों का संरक्षण प्राप्त था?
- विकास कौन से राज छुपा रहा था?
- मीडिया कर्मियों को एनकाउंटर स्पॉट पर जाने से क्यों रोका गया
- इस एनकाउंटर पर कई सवाल खड़े होते हैं, अगर उसे भागना ही था तो उज्जैन में जाकर सरेंडर क्यों किया
- विकास दुबे को पहले हवाई मार्ग से लाए जाने की बात चल रही थी, फिर बाद में इसे क्यों बदला गया?
- विकास दुबे को एक्सिडेंट से पहले सफारी गाड़ी में देखा गया था, एक्सिडेंट दूसरी गाड़ी में हुआ लेकिन अब कुछ और बताया जा रहा है
- विकास के एक पैर में लोहे की रॉड लगी थी तो वो भाग कैसे सकता है?
- अगर वो भाग रहा था तो पुलिस की गोली सीने में कैसे लगी?
- विकास अगर भाग रहा था तो उसके कपड़े सूखे कैसे थे, कीचड़ के निशान क्यों नहीं थे?
- विकास के पीछे खड़े लोगों के चेहरों को सार्वजनिक कर ही कानपुर शूटआउट में शहीद हुए जवानों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकेगी
- विकास दुबे का एनकाउंटर सच्चाई का एनकाउंटर है, जिससे सच छुपाया जा सके
- घटनास्थल पर गाड़ी फिसलने के कोई निशान मौजूद क्यों नहीं थे?
वहीं इस एनकाउंटर को लेकर यूपी एसटीएफ का कहना है कि, “अभियुक्त विकास दुबे को एसडीएफ उत्तर प्रदेश लखनऊ टीम द्वारा पुलिस उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी वाहन से लाया जा रहा था। यात्रा के दौरान जनपद कानपुर नगर के सचेण्डी थाना क्षेत्र के कन्हैया लाल अस्पताल के सामने पहुंचे थे कि अचानक गाय-भैंसों का झुण्ड भागता हुआ मार्ग पर आ गया। लंबी यात्रा से थके हुए चालक द्वारा इन जानवरों से दुर्घटना को बचाने के लिए अपने वाहन को अचानक से मोड़ने पर वाहन अनियंत्रित होकर पलट गया।”
आपको बता दें कि बता दें कि विकास दुबे को कानपुर की घटना के 8 दिन बाद बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन में गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद उसे उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था। गौरतलब है कि दो तीन जुलाई की दरमियानी रात कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गए पुलिस दल पर दुबे और उसके साथियों ने गोलियां बरसाई थीं, जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।