West Bengal: ममता दीदी के राज में हिंसा हुई बेलगाम, भाजपा पार्षद की गोली मारकर हत्या
West Bengal : पश्चिम बंगाल(West Bengal) में हत्या की घटनाएं नहीं थम रही हैं, इसको लेकर पिछले महीने राज्यपाल जगदीप धनखड़(Jagdeep Dhankhad) ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा था कि उन्हें राज्य की शक्तियां अपने हाथ लेने पर विचार करना होगा।
नई दिल्ली। ममता बनर्जी के राज में पश्चिम बंगाल हिंसा का राज्य बन गया है। अराजकतत्वों के हौसले इस कदर बढ़ गए हैं कि, आए दिन विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी जाती है। नया मामला उत्तरी 4 परगना जिले से सामने आया है, जहां रविवार को भारतीय जनता पार्टी के पश्चिम बंगाल इकाई की टीटागढ़ में पार्टी पार्षद मनीष शुक्ला की कथित हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद भाजपा में काफी आक्रोश देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल के बीजेपी केन्द्रीय पर्यवेक्षक कैलाश विजयवर्गीय ने पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है तो वहीं राज्यपाल ने मुख्यमंत्री, डीजीपी और एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (होम) को तलब किया है। बता दें कि हत्या के विरोध में सोमवार को कोलकाता से लगभग 50 किलोमीटर दूर, बैरकपुर में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, बैरकपुर में विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में बीजेपी के महासचिव संजय सिंह, उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह और भाजयुमो के अध्यक्ष सौमित्र खान शामिल होंगे।
वहीं इस हत्या पर कैलाश वियजवर्गीय ने कहा- “बीजेपी वर्कर मनीष शुक्ला को टीटागढ़ पुलिस स्टेशन (उत्तरी 24 परगना जिला) के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले की जांच सीबीआई के द्वारा की जानी चाहिए।” इसके अलावा पश्चिम बंगाल में आए दिन हो रही हत्याओं को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को तलब किया है। उन्होंने कहा- टीटागढ़ में काउंसलर मनीष शुक्ला की बर्बरतापूर्ण हत्या और बिगड़ते कानून-व्यवस्था को लेकर पश्चिम बंगाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह), मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और डीजीपी को तलब किया है।
गौरतलब है पश्चिम बंगाल में हत्या की घटनाएं नहीं थम रही हैं, इसको लेकर पिछले महीने राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा था कि उन्हें राज्य की शक्तियां अपने हाथ लेने पर विचार करना होगा। गवर्नर जगदीप धनखड़ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि तृणमूल सरकार ने पश्चिम बंगाल को ‘पुलिस स्टेट’ में बदल दिया है और इसलिए वह संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने पर मजबूर हो जाएंगे, क्योंकि उनके दफ्तर को लंबे समय से इग्नोर किया जा रहा है।