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जानें CDS बिपिन रावत का ट्रैवल प्रोटोकॉल, कहीं भी जाने से पहले PMO और इन अधिकारियों को देनी होती थी जानकारी

CDS: 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान रक्षा विशेषज्ञों ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी को महसूस किया था। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, तालमेल के अभाव में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के अभाव में भारतीय सैन्य बल को काफी क्षति का सामना करना पड़ा था।

नई दिल्ली। सीडीएस प्रमुख जनरल बिपिन रावत जिस हेलीकॉप्टर में सवार थे, उसके क्रैश होने की खबर ने सभी को स्तब्ध कर दिया। उस हेलीकॉप्टर बिपिन रावत समेत 14 लोग सवार थे। जिसमें बिपिन रावत समेत 13 लोगों के मृत होने की अधिकृत घोषणा वायुसेना की तरफ से की जा चुकी है। वहीं, भारतीय वायुसेना ने इस घटना के संदर्भ में दुख जताते हुए इसकी गहन तफ्तीश करने के निर्देश दिए हैं। घटनास्थल पर राहत एवं बचाव कार्य जा रही है। खबरों के मुताबिक, हादसाग्रस्त हुए हेलीकॉप्टर में बिपिन रावत और उनकी पत्नी भी सवार थी, जिसके बाद से पूरे देश में सनसनी मच गई। सियासी गलियारों से लेकर सैन्य हलकों में इस घटना के संदर्भ में दुख व्यक्त किया जा रहा है।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ ने बिपिन रावत के परिजनों से मुलाकात की है। वे कल संसद में बैठक इस घटना के संदर्भ में बयान जारी करेंगे। वहीं, पीएम मोदी की आज शाम 6: 30 कैबिनेट ऑन सिक्योरिटी कमेटी की बैठक की अध्यक्षता करेंगे। जिसमें आगे की रूपरेखा के बारे में विचार विमर्श किया जा रहा है। फिलहाल इस पूरे मसले को लेकर अंतिम तौर पर कुछ भी कहना अतिशीघ्रता हो सकती है। आइए, इस रिपोर्ट में हम आपको सीडीएस के पद और उसके लिए तय किए नियमों से अवगत कराते हैं।

तो ऐसी सीडीएस पद की पृष्ठभूमि

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान रक्षा विशेषज्ञों ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल की कमी को महसूस किया था। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, तालमेल के अभाव में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के अभाव में भारतीय सैन्य बल को काफी क्षति का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद गहन अवलोकन व विचार विमर्श के बाद  तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करने के ध्येय से सीडीएस पद का गठन किया गया है। लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा के अभाव में कई वर्षों तक इसे आधिकारिज लबादा से महरूम रखा गया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में लाल किले की प्रचीर से समस्त देश वासियों को संबोधित करने के क्रम में तीनों सेनाओं के मध्य तालमेल स्थापित करने के ध्येय सीडीएस की अधिकृत घोषणा की गई। इसके बाद साल 2020 में इस पद के लिए बिपिन रालत का नाम सुझाया गया जिस सभी ने हामी भर दी। बिपिन रावत हमारे देश के पहले सीडीएस थे। सीडीएस का पद किसी भी युद्धकालीन स्थिति में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करने के ध्येय से किया गया था और अब तक उनकी भूमिका इस दिशा में सराहनीय रही है।

bipin rawat

क्या है सीडीएस की भूमिका और शक्तियां

रावत बतौर सीडीएस रक्षा मंत्रालय और तीनों सेनाओं के बीच समन्वयक की भूमिका निभा रहे हैं।

सैन्य मामलों के नव निर्मित विभाग डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) के प्रमुख हैं।

वे रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे हैं।

उनका किसी सैन्य कमांड पर कोई नियंत्रण नहीं था और वे सीधे किसी सेना को कोई आदेश नहीं दे सकते थे।

सीडीएस की भूमिका सशस्त्र सेनाओं के ऑपरेशंस में आपसी समन्वय और उसके लिए वित्त प्रबंधन की है।

सीडीएस ही तीनों सेनाओं के प्रमुखों की कमेटी के स्थायी अध्यक्ष होते हैं। तीनों सेनाओं के संयुक्त संगठनों के प्रशासक वे ही हैं।

कैसे होते हैं उनकी यात्रा के नियम

सीडीएस भारतीय वायुसेना के सबसे बड़े अधिकारी माने जाते हैं। सेना के तीनों ही अंगों में तमाम गतिविधियों को उनकी निगरानी में अंजाम दिया जाता है।

सीडीएस की किसी भी यात्रा से पहले उसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को देनी होती है। तब जाकर उस यात्रा को आगे बढ़ाया जाता है।

इसके अलाला  जैसे ही कोई वीवीआईपी द्वारा कोई यात्रा किया जाता है कि भारतीय वायुसेना द्वारा तय किए सुरक्षा मांपदंडों का इस्तेमाल किया जाता है।