नई दिल्ली। भारत को चांद तक सफलता से पहुंचाने वाला इसरो अगले चंद्रयान-4 मिशन के लिए इसी महीने बड़ा प्रयोग लॉन्च कर सकता है। इसरो का ये मिशन SPADEX स्पाडेक्स होगा। स्पाडेक्स मिशन अगर कामयाब रहा, तो इससे चंद्रयान-4 भेजने के लिए इसरो की तैयारी पुख्ता हो सकेगी। इसरो अपना स्पाडेक्स मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड से अंतरिक्ष में भेजेगा। इसरो के स्पाडेक्स मिशन को अंतरिक्ष में भेजने के लिए पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल किया जाना है। आपको हम इस खबर में बता रहे हैं कि चंद्रयान-4 की सफलता के लिए स्पाडेक्स मिशन आखिर इसरो क्यों कर रहा है और ये इतना अहम क्यों है?
तो पहले जानिए कि इसरो ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए क्या तैयारी की है? इसरो ने तय किया है कि चंद्रयान-4 को सिर्फ चांद पर उतारकर रोवर से ही परीक्षण नहीं करना है। चंद्रयान-4 को चांद की सतह पर उतारकर इसरो वहां से धूल के सैंपल धरती पर लाने वाला है। चंद्रयान-3 चांद पर उतरा था, लेकिन ये वापस नहीं आ सका। इसकी वजह ये है कि उसके लिए अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रॉसेस इसरो ने नहीं अपनाया था। ऐसे में चांद तक पहुंचने वाले चंद्रयान में ये क्षमता नहीं थी कि वो लौटकर धरती पर आ सके, लेकिन चंद्रयान-4 के जरिए इसरो यान के साथ चांद के सैंपल वापसी का तरीका अपनाना चाहता है। अब जानिए कि स्पाडेक्स मिशन का इसमें क्या भूमिका होगी?
स्पाडेक्स के जरिए इसरो अंतरिक्ष में दो यानों को जोड़ने की कोशिश करने वाला है। दो यान एक साथ जाएंगे। फिर अंतरिक्ष में ये अलग होंगे और धरती की परिक्रमा करेंगे। इसके बाद दोनों यानों को एक-दूसरे के आगे-पीछे लाकर इनको जोड़ने की कोशिश होगी। ये प्रयोग सफल होने पर चंद्रयान-4 को धरती पर वापस लाया जा सकेगा। चांद पर लैंड करने के बाद चंद्रयान-4 वहां से धूल के सैंपल लेगा। फिर अपने रॉकेट मोटर को फायर कर चांद की कक्षा में पहुंचेगा। वहां दूसरा मॉड्यूल चक्कर लगा रहा होगा। चंद्रयान-4 के जुड़ने के बाद चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा मॉड्यूल अपने रॉकेट इंजन चलाएगा और फिर धरती के प्राकृतिक उपग्रह के गुरुत्वाकर्षण से निकलकर धरती तक पहुंचने का सफर पूरा करेगा। ऐसे में इसरो का स्पाडेक्स मिशन अगर सफल होता है, तो चांद से सैंपल लाने वाले चुनिंदा देशों में भारत भी शामिल हो जाएगा। साथ ही स्पाडेक्स का मिशन इसरो को स्थायी अंतरिक्ष स्टेशन बनाने में भी मदद करेगा। क्योंकि उसमें भी अलग-अलग मॉड्यूल को अंतरिक्ष में भेजकर उनको आपस में जोड़ना होगा।