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Guru Tegh Bahadur Prakash Parv 2022: कौन थे गुरू तेग बहादुर सिंह?, जानिए क्यों पूजनीय है ‘गुरू ग्रंथ साहिब’?

Guru Tegh Bahadur Prakash Parv 2022: गुरू तेग बहादुर के बचपन का नाम त्यागमल था। मात्र 14 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पिता के सानिध्य में मुगलों के विरूद्ध जंग लड़ी थी। उनकी इस वीरता से परिचय होने के बाद उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर रख दिया था।

नई दिल्ली। हर साल 21 अप्रैल को सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह सिख का प्रकाश पर्व यानी जयंती का उत्सव मनाया जाता है। उनका जन्म 18 अप्रैल 1621 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। आज भी लोग गुरु तेग बहादुर सिंह जी को एक महान योद्धा के रूप में याद करते हैं। उनके मानवता, बहादुरी, मृत्यु, गरिमा आदि जैसे सद्विचारों को गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल भी किया गया है। जिसे सिख धर्म के लोग पूजनीय मानते हैं। सिख समुदाय के लोग श्री तेग बहादुर सिंह जी का नाम बड़े आदर भाव और मान-सम्मान के साथ लेते हैं। साथ ही उनका स्मरण बहुत श्रद्धा के साथ करते हैं। बताया जाता है कि गुरू तेग बहादुर के बचपन का नाम त्यागमल था। मात्र 14 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पिता के सानिध्य में मुगलों के विरूद्ध जंग लड़ी थी। उनकी इस वीरता से परिचय होने के बाद उनके पिता ने उनका नाम ‘तेग बहादुर’ रख दिया था। गुरू तेग बहादुर बचपन से ही संतों की तरह गहन विचारवान, उदार हृदय, बहादुर और निडर स्वभाव के थे।

औरंगजेब के शासनकाल के दौरान अन्य धर्म के लोगों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर किया जा रहा था। जिसका उन्होंने सख्त विरोध किया था। गुरू तेग बहादुर ने खुद भी इस्लाम कुबूल करने से मना कर दिया था, जिसके बाद औरंगजेब ने अपने सैनिकों को आदेश देकर दिल्ली में उनकी हत्या करवा दी। जहां उनकी हत्या की गई उसे गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब नाम के पवित्र सिख स्थानों में परिवर्तित कर दिया गया। बता दें, कि साल 1665 में गुरु तेग बहादुर ने आनंदपुर साहिब नाम के एक शहर की स्थापना की थी। उन्होंने धर्म की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था।