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Chandrayaan-3: क्यों होता है रॉकेट का रंग सफेद? पीछे छुपी है ये वैज्ञानिक वजह

Chandrayaan-3: विश्लेषकों की मानें तो प्रोपलेंट्स को लॉन्च वाहन में पंप किया जाता है, तो उस वक्त कूलिंग करने का कोई तरीका मौजूद नहीं होता है। इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा जाता है कि अधिकांश लॉन्चिंग पैड भूमध्य रेखा के पीछे होते हैं, जहां गर्म जलवायु हीटिंग को बनाए रखती है।

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद से देशभर में विज्ञानमय माहौल बना हुआ है। हर किसी के जेहन में विज्ञान से जुड़े विषयों को जानने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है। गत 2019 में चंद्रयान-2 की विफलता ने हमारे वैज्ञानिकों को बहुत कुछ सिखाया है। इसके बाद अब चंद्रयान-3 अपनी सफलता से चंद कदम दूर है। इसरो के मुताबिक, कल यानी की 23 अगस्त को चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर चुका होगा। फिलहाल कोई विसंगति नहीं है। हम अपनी सफलता से चंद कदम दूर है। इस बीच चंद्रयान और विज्ञान से जुड़े कई विषयों को लेकर चर्चा का बाजार गुलजार हो चुका है। वहीं, इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे कि हर रॉकेट का रंग सफेद क्यों होता है। क्यों नहीं इनका रंग नीला, पीला या लाल होता है। आखिर सफेद ही क्यों? दरअसल, आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है, जिसकी वजह से रॉकेट का रंग सफेद होता है? आइए, आगे इसके वैज्ञानिक कारण पर एक प्रकाश डालते हैं।

दरअसल, स्पेसक्रॉफ्ट गर्म ना हो, इसलिए रॉकेट का रंग सफेद किया जाता है। इसके अलावा प्रणोदकों को लॉन्चपैड पर और लॉन्चिंग के दौरान सूर्य के रेडिएशन के संपर्क में आने से बचाने के लिए भी रॉकेट के रंग को सफेद रखा जाता है। बता दें कि ज्यादातर स्पेक्राफ्ट ऐसे प्रोपलेंट्स का इस्तेमाल करते हैं जो अत्यधिक ठंडे होते हैं। वहीं, इसके अलावा रॉकेट के पहले चरण में इस्तेमाल किए जाने वाले आरपी-1 ईंधन के अलावा, लगभग सभी अन्य लिक्विड प्रोपलेंट्स क्रायोजेनिक पदार्थ होते हैं, जिन्हें लिक्विड रूप में बने रहने के लिए शून्य से कम तापमान पर रहना जरूरी होता है, जिसमें रॉकेट के सफेद रंग की भूमिका अहम हो जाती है।

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विश्लेषकों की मानें तो प्रोपलेंट्स को लॉन्च वाहन में पंप किया जाता है, तो उस वक्त कूलिंग करने का कोई तरीका मौजूद नहीं होता है। इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा जाता है कि अधिकांश लॉन्चिंग पैड भूमध्य रेखा के पीछे होते हैं, जहां गर्म जलवायु हीटिंग को बनाए रखती है। वहीं, रॉकेट के रंग को सफेद इसलिए भी रखा जाता है, क्योंकि स्पैक्ट्रम के सभी रंगों में सफेद रंग सूरज की रोशनी को अवशोषित करने में अधिक कारगर होते हैं, तो इस तरह के तमाम वजहों को ध्यान में रखते हुए रॉकेट के रंग को सफेद रखा जाता है।