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Congress Crisis: क्यों दिग्गज नेता छोड़ रहे कांग्रेस का साथ, नाराजगी या लीडरशिप की कमी..क्या है जो पार्टी को कर रहा खोखला

Congress Crisis:यहां कुछ बातें हैं जिनको लेकर कांग्रेस को बीजेपी से सीख लेने की जरूरत है। पहला कांग्रेस में लीडरशिप की कमी है..या यूं कहे कि कांग्रेस टॉप लेवल पर बदलाव करने से डर रही है। वो आज भी नेहरू-इंदिरा के दौर पर ही चल रही हैं। कांग्रेस बड़े स्तर पर बदलाव करने से कतराती है। वहीं इसी मामले में बीजेपी ने हर बार चुनावों के दौरान ही बड़ा दांव खेला और जीता भी है

नई दिल्ली: कांग्रेस में बीते काफी समय से टूट जारी है। एक-एक करके बड़े-बड़े नेता अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए पद से इस्तीफा दे रहे हैं और कांग्रेस पार्टी पर सही फैसले नहीं लेने का गंभीर आरोप भी लगा रहे हैं। हाल ही में गुजरात से हार्दिक पटेल और सुनील जाखड़ ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है। ऐसे ही माणिक साहा भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे।बीजेपी में शामिल होने के बाद माणिक साहा की किस्मत तो ऐसी चमकी कि उन्हें सीधा त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी गई। वहीं हार्दिक पटेल को गुजरात की राजनीति में कांग्रेस की तरफ से एक मजबूत स्तंभ माना जा रहा था लेकिन निजी कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने भी कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए इस्तीफा दे दिया। अब इन परिस्थितियों में सवाल उठता है कि कांग्रेस कौन सी गलती कर रही है जिसकी वजह से हर नेता उससे किनारा कर रहा है। वहीं दूसरा सवाल ये भी है कि जिन नेताओं में कांग्रेस में रहकर संघर्ष करना पड़ा…वो बीजेपी में शामिल होते ही निखर के कैसे आ गए।

कांग्रेस में लीडरशिप की कमी

यहां कुछ बातें हैं जिनको लेकर कांग्रेस को बीजेपी से सीख लेने की जरूरत है। पहला कांग्रेस में लीडरशिप की कमी है..या यूं कहे कि कांग्रेस टॉप लेवल पर बदलाव करने से डर रही है। वो आज भी नेहरू-इंदिरा के दौर पर ही चल रही हैं। कांग्रेस बड़े स्तर पर बदलाव करने से कतराती है। वहीं इसी मामले में बीजेपी ने हर बार चुनावों के दौरान ही बड़ा दांव खेला और जीता भी है। साल 2009 की हार के बाद ही बीजेपी समझ गई थी बदलाव की जरूरत है..और उन्होंने इसी बात का ध्यान रखते हुए उन नेताओं पर दांव खेला जो राष्ट्रीय स्तर पर कभी सामने नहीं आए। बीजेपी का ये दाव काम भी आया और पीएम मोदी गुजरात में सीएम फेस बनकर उभरे। वहीं कांग्रेस आज भी इंतजार में है कि राहुल गांधी सत्ता की कमान संभालेंगे। कांग्रेस में हमेशा इंदिरा गांधी के समय के नेताओं पर भरोसा जताया। नतीजा ये रहा है कि राजस्थान में 44 साल के सचिन पायलट को प्राथमिकता देने के बजाय 71 साल के अशोक गहलोत पर दांव खेला गया।

बीजेपी का रुख हमेशा दक्षिणपंथी कट्टरता को बढ़ाने वाला रहा है

कांग्रेस में आज भी उन नारों और भाषा का इस्तेमाल किया जाता है जो इंदिरा गांधी के टाइम पर इस्तेमाल होती थी और आज भी गरीबी हटाओ के नारे में फंसी है जबकि भाजपा आर्थिक सुधार, नए रोजगार के अवसर ,यूथ को फोकस करने वाले मुद्दों पर बल देती हैं। वहीं बीजेपी का रुख हमेशा दक्षिणपंथी कट्टरता को बढ़ाने वाला रहा है जबकि कांग्रेस का कोई मजबूत स्टैंड नहीं है। कभी वो अपने बयानों से कट्टर हिंदू विरोधी हो जाती है तो कभी सॉफ्ट हिंदू। कांग्रेस किसी एक का स्टैंड लेने के लिए झिझकती है। इसके अलावा बीजेपी ने हमेशा संगठन को मजबूत करने का काम किया है। खुद पीएम मोदी जमीनी स्तर से जुड़े वर्कर और कार्यकर्ताओं से बात करते हैं और मनोबल बढ़ाने का काम करते हैं। जिला स्तर से लेकर पार्षद स्तर तक बीजेपी हमेशा कड़ी मेहनत के साथ मैदान में उतरी है जबकि कांग्रेस में ऐसा कभी देखने को नहीं मिला है। आलम ये तक है कि एक तिहाई जिलों में कांग्रेस के पास जिला समिति नहीं है। आज की परिस्थितियों की बात की जाए तो बीजेपी हर साल आगे बढ़ रही हैं। वहीं कांग्रेस वोटो के मामलों में तेजी से पीछे की तरह जा रही हैं। साल 2009 के चुनावों से लेकर 2019 तक के चुनावों में पार्टी का वोटबैंक और वर्चस्व दोनों बढ़ा है।