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Yogi Adityanath: योगी सरकार की योजना, अब प्रदेश का गांव-गांव होगा सेहतमंद

Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार कोरोना काल में भी प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति लगातार सजगता के साथ काम कर रही है। योगी आदित्यनाथ खुद कोरोना (Corona) से लड़ रहे प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की स्वयं समीक्षा कर रहे हैं।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार कोरोना काल में भी प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति लगातार सजगता के साथ काम कर रही है। योगी आदित्यनाथ खुद कोरोना से लड़ रहे प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की स्वयं समीक्षा कर रहे हैं। अब योगी सरकार की तरफ से प्रदेश की जनता के लिए ऐसी तैयारी की गई है जिसके बाद यहां गांव की आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के लिए शहरों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। बीपी, शुगर, टीबी, खसरा, कुष्ठ रोग, मलेरिया, हृदय, टाइफायड और दूसरी बीमारियां की जांच के लिए अब गांव के लोगों को शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि योगी सरकार की तरफ से यह फैसला किया गया है कि वह यूपी के गांव में ही इन बीमारियों की जांच और इलाज की व्यवस्था होगी।

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योगी सरकार की तरफ से ऐसी स्वास्थ्य योजना बनाई गई है कि गांव के लोगों को इलाज के लिए भटकने की जरूरत नहीं होगी। गांव के हेल्थ सब-सेंटरों को अपग्रेड करके इस लायक बना दिया जाएगा कि वो इन बीमारियों का इलाज वह इन सेंटरों पर आसानी से करा सकेंगे। इन हेल्थ सब-सेंटरों में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र काम करने लगें इसके लिए योगी सरकार ने 7 करोड़ रुपये का खर्च करने की योजना बनाई है।

Yogi Adityanath

इसके लिए पहले चरण में लखनऊ में 97 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र खोले जाएंगे। दूसरे और तीसरे चरण में पूरे राज्य में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र खोल दिए जाएंगे। सरकार की योजना है कि हर स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र को 7 लाख रुपये दिए जाएंगे। इन केंद्रों में 12 तरह की वैसी बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा जो संक्रमण की श्रेणी में नहीं आते। इसके बाद इन बीमारियों का यहां इलाज भी किया जाएगा।

Yogi Adityanath

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार की यह योजना है कि इन केद्रों में प्राथमिक स्तर पर बीपी, शुगर, टीबी, खसरा, कुष्ठ रोग, मलेरिया, हृदय, टाइफायड और दूसरी बीमारियां की पहचान की जाएगी और फिर इन रोगियों को स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास भेजा जाएगा। अब तक इन हेल्थ सब-सेंटरों में एएनएम बैठा करते थे लेकिन अब कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर इस काम के लिए नियुक्त किए जाएंगे। किंग जॉर्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में छह महीने की ट्रेनिंग के बाद नर्सेज को सीएचओ के रूप में नियुक्त किया जाएगा। ये सभी सीएचओ को नेशनल हेल्थ मिशन की ओर से सैलरी दी जाएगी। इन केंद्रों के जरिए गांवों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। इसके तहत उन्हें हफ्ते में दो दिन योग सिखाया जाएगा, ताकि वे अपने शरीरऔर दिमाग का ख्याल रख सकें।