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निर्जला एकादशी 2020 : जानें महत्व, इन उपायों को करने से सभी मनोकामना पूरी होगी

आज निर्जला एकादशी है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है । साल की सभी चौबीस एकादशियों में निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।

नई दिल्ली। आज निर्जला एकादशी है। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है । साल की सभी चौबीस एकादशियों में निर्जला एकादशी सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।

मान्यता

मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन बिना जल के उपवास रहने से साल की सारी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है। इस एकादशी व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है इसलिए इस एकादशी को निर्जला कहते हैं। निर्जला एकादशी का व्रत रखने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। इस साल निर्जला एकादशी 2 जून को यानी आज है।

Lord vishnu

महत्व

इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। यह व्रत रखने से साल की सभी एकादशी का व्रत फल मिलता है और भगवान विष्णु की कृपा होती है। भीम ने एक मात्र इसी उपवास को रखा था और मूर्छित हो गए थे। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।

पूजा की विधि

– प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें। इसके बाद पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें।

-उन्हें पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें। इसके बाद श्री हरि और मां लक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें।

– किसी निर्धन व्यक्ति को जल का, अन्न-वस्त्र का या जूते छाते का दान करें।

– आज के दिन वैसे तो निर्जल उपवास ही रखा जाता है लेकिन आवश्यकता पड़ने पर जलीय आहार और फलाहार लिया जा सकता है।