चुनाव में एनडीए की तरफ से पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ मैदान में हैं। विपक्ष ने धनखड़ के खिलाफ मारग्रेट अल्वा को उतारा है। इस पद के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोट पड़ेंगे। वोटिंग में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद हिस्सा लेंगे। गणित के लिहाज से देखें, तो जगदीप धनखड़ की जीत तय है। धनखड़ के मुकाबले मारग्रेट अल्वा को काफी कम वोट हासिल होते दिख रहे हैं।
फिलहाल गणित की बात करें, तो जगदीप धनखड़ के मुकाबले मारग्रेट अल्वा की हालत पतली है। इसकी वजह ये है कि उप राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट देते हैं। बीजेपी के पास खुद के ही मिलाकर इतने वोट होते हैं कि वो धनखड़ का चुनाव करवा लेगी।
मारग्रेट अल्वा के खिलाफ एनडीए की तरफ से पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतारा गया है। जगदीप धनखड़ भी काफी पुराने नेता हैं। वो कांग्रेस में भी रह चुके हैं। जबकि, मारग्रेट अल्वा भी कांग्रेस की पुरानी नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं।
यूं अगर वोटों के लिहाज से देखें, तो बीजेपी खुद अपने दम पर जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति का चुनाव जिताने की स्थिति में है। इस चुनाव में प्रत्याशी के लिए लोकसभा और राज्यसभा के 780 सांसद वोट देंगे। इनमें से जीत के लिए 391 वोट चाहिए होंगे। बीजेपी के पास दोनों सदन मिलाकर ही खुद के 394 वोट हैं।
खास बात ये भी है कि अपनी उम्र के बावजूद जगदीप धनखड़ ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से सीधा टकराव भी लिया और चुनाव बाद हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के दौरे पर भी गए। इसका भी काफी अच्छा असर बीजेपी नेतृत्व पर पड़ा।
पिछले कई दिनों से भारतीय राजनीति में उप-राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर चर्चाओं का बाजार गुलजार था। लोगों के जेहन में इस बात को जानने की आतुरता अपने चरम पर थी कि आखिर बीजेपी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के लिए किस नाम पर हाथ आजमाया जाता है, तो आपको बता दें कि बीजेपी ने लोगों की इसी आतुरता को विराम देते हुए उपराष्ट्रपति के पद के लिए प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने जगदीप धनखड़ को उप-राष्ट्रपति के प्रत्याशी के रूप में उनके नाम का ऐलान किया है।
मुख्तार के नाम पर चर्चा इसलिए भी ज्यादा हो रही है, क्योंकि वो मुस्लिम समुदाय से हैं। साथ ही उन्हें बीजेपी ने फिर से राज्यसभा नहीं भेजा। सूत्रों के मुताबिक भी मुख्तार अब्बास नकवी रेस में काफी आगे हैं, लेकिन आखिरी दारोमदार पीएम मोदी पर है। मोदी अपने फैसलों से चौंकाते रहे हैं।