एलएसी

China: 2022 में, चीन ने झिंजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों के डिवीजनों द्वारा मजबूत एक सीमा रेजिमेंट तैनात की। इसके अतिरिक्त, चार कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड एलएसी पर पश्चिमी सेक्टर में तैनात थे, जबकि तीन कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड पूर्वी सेक्टर में और तीन अन्य सेंट्रल सेक्टर में तैनात थे। हालाँकि बाद में कुछ ब्रिगेडों को एलएसी से हटा लिया गया, लेकिन अधिकांश सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब ही तैनात हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीन के साथ सैन्य और कूटनीतिक मंचों पर कई दौर की बातचीत की है। इन बातचीत में मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि भारत और चीन के रिश्ते तभी सुधर सकते हैं, जब चीन 2020 से पहले की स्थिति पर अपनी सेना को ले जाए।

पाकिस्तान की तरफ से हमेशा भारत के खिलाफ उकसाने वाली कार्रवाई जारी रहती है। वहीं, साल 2020 से चीन के साथ भी पूर्वी लद्दाख इलाके में तनाव काफी बढ़ा है। पूर्वी लद्दाख में चीन के मुकाबले एलएसी पर सेना के करीब 60000 जवान तैनात हैं। ऐसे में भारतीय वायुसेना भी अपनी पूरी तैयारी रख रही है।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी है। ये एलएसी लद्दाख के अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पड़ती है। अरुणाचल प्रदेश में एलएसी की लंबाई 1126 किलोमीटर है। अरुणाचल और सिक्किम में आईटीबीपी की 67 चौकियां हैं।

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर चीन के मसले पर पीएम मोदी क्या वाकई कुछ नहीं कर रहे और विपक्ष के आरोपों में कितना दम है कि सरकार चीन से डर गई है। भारत और चीन के बीच 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी के संघर्ष के बाद तनाव बहुत ज्यादा है। इस खबर को पढ़कर आपको हकीकत का पता चलेगा।

इस बीच, खबर है कि दक्षिण अफ्रीका में होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत हो सकती है। अगर दोनों के बीच ये मीटिंग होती है, तो 4 साल बाद ऐसा मौका आएगा, जब भारत और चीन के शासनाध्यक्ष आमने-सामने होंगे।

चीन का हालांकि भरोसा नहीं किया जा सकता। भारत से दोस्ती और हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे के बीच उसने 1962 में हमला किया था। बहरहाल, अब चीन एक बार फिर रिश्ते सुधारने की बात कहता दिख रहा है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत से मुद्दे सुलझाने की पेशकश की है।

S Jaishankar: केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के कार्यकाल के नौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर जयशंकर ने प्रेस से बातचीत में बताया, '' भारत भी चीन के साथ संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है लेकिन यह केवल तभी संभव है तब सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति स्थापित हो सके।'' उन्होंने चीन को पूरी तरह से स्पष्ट किया कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन और शांति नहीं होगी। तबतक दोनों देशों के सम्बंधों में मधुरता की उम्मीद नहीं की जा सकती।

चीन ने होतान, न्गारी गुनसा और ल्हासा में नए रनवे और लड़ाकू विमानों के नए शेल्टर बनाए हैं। दूसरी बड़ी खबर चीन की जनता से जुड़ी है। चीन में हाल में किए गए एक सर्वे से ये बात सामने निकलकर आई है कि वहां के 92 फीसदी लोग भारत से खतरा महसूस करते हैं। सिर्फ 8 फीसदी लोगों का कहना है कि उनको भारत से डर नहीं लगता।

जनरल चौहान ने एनडीए के 144वें कोर्स के पास आउट अफसरों को बधाई दी और खासतौर पर महिला अफसरों की तारीफ की। सीडीएस ने कहा कि आज महिलाएं राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए आगे आ रही हैं। महिलाओं ने एनडीए को समान स्तर पर ला दिया है। पहले यहां सिर्फ पुरुष दिखते थे, लेकिन अब महिलाएं भी एनडीए का हिस्सा हैं।


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