Sanjay Raut on BCCI: क्रिकेट प्रेमियों को वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में कपिल देव की गैर-मौजूदगी काफी खली। लोगों ने उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाए। जिसके बाद लोगों का गुस्सा बीसीसीआई पर भड़कना लाजिमी था। क्रिकेट प्रेमियों ने सवाल उठाए कि जिस लीजेंड ने हमें 1983 में वर्ल्ड कप का खिताब हमें जीतवाया था। आखिर बीसीसीआई उसके साथ ऐसा सलूक कैसे कर सकती है?
Sanatana Dharma Row: संजय राउत ने डीएमके नेता के बयान पर भड़के हुए कहा, ''उदयनिधि स्टालिन मंत्री है और उनके बयान का कोई समर्थन नहीं करेगा। इस प्रकार के बयानों से बचना चाहिए। हम सब INDIA के घटक दल है। ये उनकी राय हो सकती है ये डीएमके की राय हो सकती है द्रविड़ संस्कृति की राय हो सकती है। लेकिन देश में 90 करोड़ हिंदू रहते है।''
फिलहाल स्थिति ये है कि अहम फैसले लेने में विपक्षी गठबंधन पापड़ बेल रहा है, तो सवाल ये है कि आखिर बीजेपी से मुकाबला करने के लिए वो रफ्तार कैसे पकड़ेगा? अभी विपक्षी दलों की और भी बैठकें होनी हैं। अब सबकी नजर इस पर है कि वे इन अहम मसलों पर क्या फैसला लेते हैं।
फिलहाल चांद पर विक्रम लैंडर के उतरने की जगह के नामकरण को लेकर सियासत के और गरमाने के आसार दिख रहे हैं। वहीं, बीजेपी लगातार पलटवार कर कह रही है कि जब साल 2008 में चंद्रयान-1 का प्रोब चांद की सतह पर गिराया गया था, तब यूपीए की केंद्र सरकार ने उस जगह का नाम जवाहर प्वॉइंट रखा।
Maharashtra: शिंदे सरकार डिप्टी सीएम बनाया गया। अब महाराष्ट्र सरकार में दो डिप्टी सीएम है, लेकिन बीते दिनों सामना में एक लेख छपा था, जिसकी वजह से देवेंद्र फडणवीस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई थी।
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो मोदी ने वाराणसी में 41 और उम्मीदवारों से मोर्चा लिया था। इनमें से अरविंद केजरीवाल दूसरे नंबर पर रहे थे। बाकी 40 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। 2019 के नतीजे बताएं, तो वाराणसी सीट से दोबारा लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे मोदी 479505 वोटों केअंतर से जीते थे।
एक तरफ लोकसभा चुनाव के लिए मोदी और बीजेपी विरोधी दल एकता की बात कर रहे हैं। पटना में बैठक भी हो चुकी है। वहीं, इन विपक्षी दलों में तकरार भी जारी है। ताजा मामला तेलंगाना में सरकार चला रही बीआरएस और उसके नेता के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर का है। केसीआर पर उद्धव गुट और कांग्रेस ने निशाना साधा है।
शिवसेना में दो फाड़ हुए एक साल हो गया है। 20 जून 2022 को ही एकनाथ शिंदे ने अपने साथी विधायकों को लेकर उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका था। इसके बाद बीजेपी की मदद से उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम का पद हासिल कर लिया था। फिर शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह भी एकनाथ शिंदे ने हासिल किया था।
अजित पवार और संजय राउत के बीच बयानों का वार-पलटवार कोई नया नहीं है। इससे पहले भी महाराष्ट्र की सियासत और महाविकास अघाड़ी को लेकर दोनों के बीच टकराव देखने को मिला है। संजय राउत ने सामना अखबार में अजित पवार को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष न बनाए जाने पर संपादकीय भी छापा।
Maharashtra: गत विधानसभा चुनाव शिवसेना और बीजेपी ने साथ मिलकर ही लड़ा था, लेकिन इसके बाद दोनों के बीच सीएम पद को लेकर पेंच फंस गया था। दरअसल, शिवसेना जहां उद्धव ठाकरे को सीएम बनाने की वकालत कर रही थी, तो वहीं बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही थी।