गुजरात दंगा

Maharashtra: केंद्र की मोदी सरकार द्वारा इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भी दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों ने जबरन इसकी स्क्रीनिंग कराई थी। छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के कदम को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया था।

अब कुछ ही ऐसी बातें किसी और ने नहीं, बल्कि ब्रिटिश सांसद ने हीं हैं। लेकिन, इसके बावजूद भी भारत में वामपंथी गुटों के नेता इस डॉक्यूमेंट्री को देखने पर उतारू हो चुके हैं। बता दें कि अब डॉक्यूमेंट्री को लेकर एक और ब्रिटिश सांसद ने बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सिर्फ और प्रोपोगेंडा है, जिसमें तथ्यों को नजरअंदाज किया गया है।

BBC Documentary: सरकार के प्रतिबंध के बावजूद भी बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का दिखाने की पैरवी की जा रही है। वहीं, अब अब इस पूरे मामले पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी को वाइस चांसलर ने पूरे मामले पर बयान जारी किया गया है। उन्होंने पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए चार छात्रों के संदर्भ में कहा कि एसएफआई यूनिवर्सिटी की शांति को भंग करने की कोशिश कर रहा है।

BBC Documentary: अगर इस पूरे मसले को लेकर राजनीतिक ऐनक से देखें, तो जहां दक्षिणपंथी गुटों के नेता उक्त डॉक्यूमेंट्री की जोरदार मुखालफत कर रहे हैं, तो वहीं वामपंथी दलों के नेता से डॉक्यूमेंट्री के प्रतिबंधित किए जाने के कदम को अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात बता रहे हैं।

सोशल मीडिया पर लोगों ने बीबीसी से 1943 के बंगाल अकाल पर भी डॉक्यूमेंट्री तैयार करने का भी आग्रह किया है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि अकाल संकट के दौरान, यूके के पीएम ने भारत से भोजन को ब्रिटेन और यूरोप में अपने भंडार में बदल दिया और इस प्रकार भारतीयों को कुपोषण और भुखमरी से मरने के लिए छोड़ दिया।

हालांकि, इससे पहले साल 2019 में सुप्रीम के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि मामले की सुनवाई अब आगे नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, समय बीतने के साथ ही अब कई मामले में अर्थहीन हो चुके हैं। हालांकि, 9 मामले में से आठ मामले की सुनवाई अब ट्रायल अब खत्म हो चुके हैं।

दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता शीतलवाड़ और आईपीएस श्रीकुमार ने रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद जमानत के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने दोनों की याचिकाओं को खारिज करते हुए एक बार फिर से इन्हें तगड़ा झटका दे दिया। अभी फिलहाल ये दोनों जेल में ही रहेंगे।

वह निदंनीय है। इसकी जितनी भत्सर्ना की जाए, वह कम है। हालांकि, लोगों को पता था कि जैसा मुझे दिखाया गया है, मैं वैसा नहीं हूं, यह उसी का नतीजा है कि मैं आज स्वतंत्र रूप से काम कर पा रहा हूं। अशोक मोची ने कहा कि मेरी तस्वीर को ढाल बनाकर कई लोग अपनी राजनीति भी चमकाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें कभी कामयाबी नहीं मिल पाई थी।

Teesta Setalvad: काफी दिनों बाद ऐसा मौका बीजेपी को मिला है। इससे पहले कांग्रेस और विपक्षी दल किसान आंदोलन और पेगासस स्पाईवेयर समेत कई मुद्दों पर संसद सत्र के दौरान बीजेपी और मोदी को घेरते रहे हैं। इस बार कांग्रेस निशाने पर है। बीजेपी ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं।

Gujarat Riots: बता दें कि नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ जो याचिका दायर की गई थी, उसको खारिज करते हुए कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ा के खिलाफ जांच की जरुरत को बताया था। आज इसी सिलसिले में गुजरात एटीएस (Gujrat ATS) उनके घर पर पहुंची है।