चंद्र ग्रहण

Solar and lunar eclipse 2024: हिंदू धर्म में ग्रहण को बहुत अधिक महत्व दिया जाता है। ग्रहण चाहे कोई सा भी लेकिन उसका सीधा असर पृथ्वी और इंसानों पर पड़ता है। ग्रहण को लेकर मान्यताएं भी हैं, जिन्हें हिंदू धर्म में माना जाता है, जैसे घर से बाहर नहीं निकलना, गर्भवती महिलाओं का नुकीली चीजों से दूर रहना और खाने-पीने का निषेध रखना

Chandra Grahan 2022: देश के पूर्वी उत्तर राज्यों में  पूर्ण ग्रहण दिखाई देगा, जबकि बाकी हिस्सों में आंशिक चंद्र ग्रहण देखने को मिलेगा। चंद्र ग्रहण का असर शाम 6 बजकर 19 मिनट पर खत्म हो जाएगा। यह 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा। यह 15 दिनों के अंतराल में दूसरा ग्रहण है। चलिए हम आपको बताते है इस दिन गर्भवती महिलाएं क्या करें और क्या नहीं।

Chandra Grahan 2022: इसी दिन देव दीपावली भी पड़ रही है, ऐसे में लोग असमंजस की स्थित में पड़े हैं कि आखिर देव दिवाली किस दिन मनाई जाए। तो आइए जानते हैं चंद्र ग्रहण से जुड़ी कुछ खास बातें...

भारत में आज, 5 जून 2020 को होने वाला चंद्र ग्रहण दिखाई देगा लेकिन इस दौरान सूतक के नियम नहीं माने जाएंगे। ये चंद्र ग्रहण ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लग रहा है। 5 जून को लगने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण रात में 11 बजकर 15 मिनट से शुरू होगा और रात में 2 बजकर 34 मिनट पर खत्म होगा। ग्रहण काल के दौरान चंद्रमा वृश्चिक राशि में होगा।

5 जून यानी आज साल 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा। कोरोना संकट के बीच इस चंद्र ग्रहण को खगोल विज्ञान के साथ-साथ ज्योतिष विज्ञान के लिए भी बहुत अहम माना जा रहा है।

इस साल जून और जुलाई के महीने में तीन ग्रहण लगने जा रहे हैं। 5 जून 2020 को चंद्र ग्रहण, 21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण और फिर 5 जुलाई 2020 को चंद्र ग्रहण लगेगा। ग्रहण काल से पहले ही सूतक लग जाते हैं। ग्रहण के दौरान निकलने वाली नकारात्‍मक ऊर्जा से बचाव के सभी उपाय किये जाते हैं।

शुक्रवार यानि आज (10 जनवरी 2020) को साल का पहला ग्रहण होगा। इस ग्रहण को यूरोप,एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में देखा जा सकेगा।ग्रहण काल की शुरुआत 10 जनवरी की रात 10 बजकर 37 मिनट से हो जायेगी और इसका मोक्ष या अंत 02:42( सुबह) पर 11 जनवरी को होगा।

इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 10 जनवरी (शुक्रवार) को लगेगा। जिसका प्रभाव रात 10 बजकर 37 मिनट से 11 जनवरी को देर रात 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। चंद्र ग्रहण के दौरान, चंद्रमा का लगभग 90 फीसदी भाग पृथ्वी द्वारा आंशिक रूप से ढक लिया जाएगा।