जमीन धसकना

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने मीडिया को जानकारी दी कि पिछले साल दिसंबर से जोशीमठ में भू धंसाव तेज हुआ। सती के मुताबिक इसी समय से मकानों में दरारों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। अतुल सती के मुताबिक नवंबर 2022 में पहली बार एक मकान में दरार देखी गई थी।

उत्तराखंड के जोशीमठ में दरार वाले मकानों की तादाद लगातार बढ़ने की खबर है। बताया जा रहा है कि अब तक 780 से ज्यादा मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं। इनमें से 150 के करीब मकान काफी खतरनाक हो चुके हैं। वहीं, अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक अधिकारी के हवाले से काफी चिंताजनक खबर दी है।

अगर एनटीपीसी की टनल की बात करें, तो सरकारी कंपनी ने इससे पहले ही इनकार किया है। एनटीपीसी की तरफ से बयान जारी कर दावा किया गया था कि उसकी टनल का जोशीमठ के भू धंसाव से कोई लेना देना ही नहीं है। एनटीपीसी की ये टनल विष्णुगाड पनबिजली परियोजना से जुड़ी है।

आदेश में एनडीएमए ने कहा है कि जोशीमठ के हालात के बारे में केंद्र और उत्तराखंड सरकार का कोई भी अफसर मीडिया से बात नहीं करेगा। बताया जा रहा है कि इसरो ने जोशीमठ में भू धंसाव पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट को भी एनडीएमए के आदेश के बाद इसरो की साइट से हटा लिया गया।

जोशीमठ के लोगों का आरोप है कि पास में एनटीपीसी की टनल और चारधाम यात्रा के लिए ऑल वेदर रोड बनाए जाने से भू धंसाव हो रहा है। एनटीपीसी ने तो पहले ही अपने टनल की वजह से जोशीमठ में हालात बिगड़ने से इनकार कर दिया था। अब केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी ऑल वेदर रोड को जोशीमठ की समस्या मानने से इनकार कर दिया है।

बारिश और हिमपात से जोशीमठ में खतरनाक बन चुके मकान और होटलों पर संकट गहरा सकता है। जोशीमठ के पास औली में भी काफी बर्फ गिरने की जानकारी मिली है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिन जोशीमठ और आसपास बर्फबारी और बारिश के पूरे आसार हैं। ऐसे में उत्तराखंड सरकार और चमोली जिले का प्रशासन हर हाल में प्रभावितों को सुरक्षित जगह ले जाना चाहता है।

कनवरीगंज के लोगों का कहना है कि नींव में पानी जाने की वजह से ही उनके मकानों की छतों और दीवारों पर दरारें पड़ रही हैं। इस समस्या से 20 से ज्यादा परिवार परेशान हैं। लोगों का कहना है कि रात में दरारें पड़ती हैं और चटकन की तेज आवाजें आती हैं। इससे उनकी रातों की नींद उड़ गई है।

जोशीमठ में अब तक 723 मकानों में बड़ी दरारें आ चुकी हैं। यहां से 131 परिवारों को सुरक्षित जगह ले जाया गया है। बाकी परिवारों को भी हटाने की तैयारी है। प्रशासन सभी लोगों को समझा-बुझा रहा है, लेकिन लोग अपना आशियाना उजड़ते देखकर बहुत दुखी हैं। कई परिवारों के यहां खेत हैं।

उत्तराखंड सरकार जोशीमठ के डेंजर जोन से हर एक आदमी को हटाना चाहती है। उसका इरादा पहले लोगों की जान बचाना है। मंगलवार तक जोशीमठ से 131 परिवारों को सुरक्षित जगह ले जाया गया था। और भी परिवारों को शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है। सरकार ने इनको बेहतर जगह पुनर्वास कराने का वादा किया है।

जोशीमठ के खतरनाक मकानों को गिराने का सुझाव राज्य सरकार की एक कमेटी ने जांच-पड़ताल के बाद दिया है। इस कमेटी ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि जोशीमठ में पहले से ही काफी मलबा था। उसी मलबे पर लोगों ने मकान और होटल वगैरा बना लिए।