दुर्गासप्तशती

प्रकृति दिव्यता है, सदा से है। देवी है। मनुष्य की सारी क्षमताएं प्रकृति प्रदत् है। जीवन के सुख-दुख, लाभ-हानि व जय-पराजय प्रकृति में ही संपन्न होते हैं। दुनिया की अधिकांश संस्कृतियों में ईश्वर या ईश्वर जैसी परमसत्ता को प्रकृति का संचालक जाना गया है।