पटियाला हाउस कोर्ट

Sukesh Chandrasekhar-Jacqueline fernandez: दो दिन पहले जैकलीन ने पटियाला कोर्ट का रुख किया था और याचिका दायर की थी कि सुकेश के लिखे पत्रों को रोका जाए। वो जो भी जेल से बैठकर पत्र लिखता है, उसपर मीडिया में लेख छपते हैं।

AAP Leader Raghav Chadha: सनद रहे कि बीते दिनों पटियाला हाउस कोर्ट आप सांसद राघव चड्ढा को अपना सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था। उधर, इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राघव चड्ढा के वकील ने कहा कि पंजाब में मिल रही धमकियों की वजह से उन्हें z प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई।

Jacquelie Fernandez : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इसी साल 17 अगस्त को चार्जशीट दाखिल कर जैकलीन फार्नांडीज को कॉनमैन सुकेश से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी बनाया था। इसके साथ ही अदालत ने उन्हें समन भी भेजा था, जिसके बाद जैकलीन के वकील ने उनकी जमानत की याचिका दायर की थी।

Toolkit Case: बता दें कि दिशा रवि(Disha Ravi) को जमानत मिलेगी या नहीं, इसपर अदालत अब मंगलवार को फैसला सुनाएगी। गौरतलब है कि दिशा रवि ने बेल के लिए शुक्रवार को अर्जी दायर की थी।

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दोषी मुकेश की इस मांग को खारिज कर दिया था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दोषी ने उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी।

निर्भया के दोषी मौत के मुंह में पहुंच चुके हैं। मगर पैंतरे चलने से बाज नहीं आ रहे हैं। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट उनका अंतिम डेथ वारंट जारी कर चुकी है।

निर्भया के दोषियों की डेथ वारंट पर रोक लगाए जाने की मांग करने वाली याचिका को पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटिशन खारिज होने के बाद दोषी पवन कुत्ता ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल की है।  

निर्भया के गुनाहगार फांसी टलवाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसी सिलसिले में अब इन गुनाहगारों ने एक नया तरीका निकाला है। निर्भया के दोषी विनय शर्मा के वकील एपी सिंह ने विनय की दया याचिका खारिज करने पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर की है।

बता दें कि सोमवार को निर्भया के दोषियों के खिलाफ नए डेथ वारंट जारी करने की दिल्ली सरकार, तिहाड़ जेल प्रशासन और निर्भया के माता-पिता की याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई।

निर्भया केस में दिल्ली हाईकोर्ट के सामने केंद्र सरकार ने दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की अर्जी लगाई थी। जिसको लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।