भारतीय किसान यूनियन

Farmers Protest: किसान संगठन कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संबंधी नए कानून की वापसी, डब्ल्यूटीओ संबधी मांग, 58 साल के हर किसान को हर महीने 10000 रुपए की पेंशन और पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस वापस लेने संबंधी मांग शामिल हैं।

Rakesh Tikait: किसा नेता राकेश टिकैत के रुख की बात करें, तो वो लगातार किसानों के पक्ष में आंदोलनरत हैं। अभी हाल ही में सूरजमुखी के एमसीएसपी के दाम बढ़ाए जाने की मांग को लेकर किसान के साथ आंदोलन किया। इसी आंदोलन का नतीजा है कि सरकार को को किसानों के आगे घुटने टेकने पड़ गए।

Rakesh Tikait: राकेश टिकैत ने कहा कि वे लोग, जो इस तरह की कंपनियां चलाते हैं, किसी के दबाव में नहीं आते। उन्होंने अपनी रीच कम होने की भी बात कही और कहा कि उससे पहले भी इसकी खबर आई थी। टिकैत के ट्विटर अकाउंट पर वर्तमान में 8 लाख 42 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।

Muzaffarnagar News: बताया जा रहा है कि बुधवार रात गौरव टिकैत को बार-बार धमकी भरे फोन आ रहे थे। बाद में जब गौरव टिकैत ने फोन स्विच ऑफ कर लिया तो उन्हें मैसेज कर परिवार समेत बम से उड़ाने की धमकी दी गई। फिलहाल टिकैत परिवार की तरफ से इसे लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है।

Bharat Jodo Yatra : यह यात्रा पंजाब होते हुए जम्मू कश्मीर पहुंचेगी। 7 सितंबर को शुरू इस यात्रा तहत राहुल गांधी अब तक 11 राज्यों में 3,000 किलोमीटर चल चुके हैं। राकेश टिकैत ने यूपी में यात्रा पहुंचने से पहले कहा था, 'मैं भारत जोड़ो यात्रा में नहीं जाऊंगा।

बीकेयू नेता ने कहा कि दिल्ली में सीडीएस बिपिन रावत के घर मैं श्रद्धांजलि देने गया। वहां मेरी हत्या कराने की योजना थी। उस वक्त दिल्ली पुलिस ने बचा लिया। उन्होंने कहा कि अब बेंगलुरू में स्याही फेंकी गई। स्याही फेंकने वाले जो पकड़े गए, वे बीजेपी के लोग हैं।

उन्होंने ये भी कहा कि हिंदुओं की आस्था है कि पहाड़ से भी पत्थर उठा लो, तो वो शिवलिंग बन जाता है। बता दें कि राकेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर में साल 2017 में यूपी चुनाव से पहले हुए दंगों के मामलों में भी दंगाइयों के प्रति सख्त बयान दिए थे।

Politics: इसमें बीजेपी का नाम लिए बगैर उसे षड्यंत्रकारी ताकत कहा गया है और आरोप लगाया गया है कि भारत के समावेशी मिजाज के खिलाफ दुष्प्रचार कर और कुचक्र रचकर उसने सत्ता हासिल की है। देश को गहरे अंधेरे में डाल दिया है। इसके लिए नोटबंदी, जीएसटी, लॉकडाउन का हवाला दिया गया है।

Rakesh Tikait : कथित तौर पर कई किसानों का कहना है कि बीते दिनों कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन के बहाने राकेश टिकैत ने अपनी गतिविधियों के जरिए यूनियन को राजनीतिक शक्ल देने की कोशिश की थी। जिसे ध्यान में रखते हुए अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाखा गया है।

4 राज्यों में बीजेपी की जीत के बारे में पूछे गए सवाल पर नरेश टिकैत की निराशा सामने आ गई। उन्होंने कहा कि लोगों का झुकाव बीजेपी की तरफ है, इसके लिए हम क्या कर सकते हैं ? ये उनकी मर्जी है कि वो किसे वोट देना चाहते हैं। हम न खुश और न ही दुखी हैं। ये एक आजाद मुल्क है।