भारतीय वैज्ञानिक

Chandrayaan 3: इसके लिए आगामी 2 सितंबर को सूर्ययान मिशन शुरू किया जाएगा, जिसके तहत सूर्य का अध्ययन किया जाएगा। बता दें कि अब तक सूर्य का अध्ययन करने के लिए किसी भी देश ने का किसी भी प्रकार के मिशन की शुरुआत नहीं की है, लेकिन अगर यह कमाल के हाथों हुआ, तो वो ये कमाल करने वाला पहला देश बन चुका होगा।

Chandrayaan 3: इमाम ने चंद्रयान-3 को लेकर कहा कि, 'हमारे यहां आने वाले बच्चों विज्ञान पढ़ते हैं, इसलिए उनके जेहन में चंद्रयान-3 को लेकर जानने की आतुरता अपने चरम पर पहुंच चुकी है और वो उस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जब यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा।

PM Viral Audio: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह संबोधन 1984 में पुणे स्थित संघ शिक्षा वर्ग में दिया था। जिसमें उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस का जिक्र किया था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि, ‘यही भूमि है, जहां जगदीश चंद्र बोस, रबीन्द्रनाथ टैगोर, चंद्रशेखरन, डॉ हरभजन खुराना, सीवी रमन और ऐसे श्रेष्ठ लोगों ने नोबल प्राइज प्राप्त किया है।

इसे मुश्किल कार्य के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारे वैज्ञानिकों ने इस दुभर कार्य को बेहद ही सरलता कर दिखाया है, जिसके लिए उनकी जितनी प्रसन्नता की जाए, उतनी कम है। आपको बता दें कि इसरो के मुताबिक, यह प्रक्षेपण कार्य शनिवा 11 बजकर 56 मिनट पर किया गया।

स्वीडन में रह रहे भारतीय वैज्ञानिक राम उपाध्याय का मानना है कि कोरोनावायरस की कारगर वैक्सीन और दवा अगले साल की पहली तिमाही तक आ सकती है।

दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच एक भारतीय वैज्ञानिक ने अच्छी खबर दी है। भारतीय वैज्ञानिक के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने एक सस्ता, विद्युत रहित सेंट्रीफ्यूज विकसित किया है जो नए कोरोना वायरस की जांच के लिये किसी मरीज की लार के लिये गए नमूनों से घटकों को अलग कर सकता है।

अब तक दुनिया भर में वायरस की जांच के लिए आरटी पीसीआर को ही सबसे भरोसेमंद माना जा रहा है, लेकिन अब भारतीय वैज्ञानिकों ने जांच का एक और तरीका इजाद कर लिया है।

चीन की सरहद से निकले जिस कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है, उसे लेकर भारत के वैज्ञानिकों ने बड़ा खुलासा किया है। जब से ये वायरस अस्तित्व मे आया है, दुनिया भर के साइंटिस्ट इस पर रिसर्च मे जुटे हुए हैं।

कोरोनावायरस के मरीजों के उपचार के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने एक खास डिवाइस बनाई है। यह डिवाइस ऑक्सीजन से भरपूर हवा की आपूर्ति करेगा।

माना जा रहा है कि इस तस्वीर से वैज्ञानिकों को आगे रिसर्च में फायदा मिलेगा। साथ ही ये भी उम्मीद जग गई है कि भारत में इसके इलाज के लिए वैक्सिन बनाने में भी कामयाबी मिल सकती है।