भू-धंसाव

इससे पहले भी धामी सरकार ने भू-धंसाव प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए बिजली-पानी बिल माफ करने का फैसला किया था। इसके अलावा धामी सरकार ने भू-धंसाव की चपेट में आए लोगों को आर्थिक मोर्चे पर फायदा पहुंचाने के लिए वित्तीय मदद देने का भी ऐलान किया था, लेकिन जोशमीठ में भू-धंसाव की चपेट में आए लोगों की धामी सरकार के प्रति नाराजगी का अंदाजा महज इसी से लगा सकते हैं।

Uttarakhand: सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी है कि जोशीमठ में प्रारम्भ में निकलने वाले पानी का डिस्चार्ज जो कि 06 जनवरी 2023 को 540 एल.पी.एम. था, वर्तमान में घटकर 170 एलपीएम हो गया है। अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 661 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2957 लोगों की है तथा पीपलकोटी मंक 491 कक्ष हैं।

एक खबर ये भी है कि फिलहाल जोशीमठ के नृसिंह स्वामी मंदिर में रखा बदरीनाथ का खजाना नहीं हटाया जाएगा। नृसिंह मंदिर में भी कुछ दरारें आई हैं। इन दरारों को फिलहाल खतरनाक नहीं माना गया है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने मीडिया को जानकारी दी कि पिछले साल दिसंबर से जोशीमठ में भू धंसाव तेज हुआ। सती के मुताबिक इसी समय से मकानों में दरारों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। अतुल सती के मुताबिक नवंबर 2022 में पहली बार एक मकान में दरार देखी गई थी।

उत्तराखंड के जोशीमठ में दरार वाले मकानों की तादाद लगातार बढ़ने की खबर है। बताया जा रहा है कि अब तक 780 से ज्यादा मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं। इनमें से 150 के करीब मकान काफी खतरनाक हो चुके हैं। वहीं, अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक अधिकारी के हवाले से काफी चिंताजनक खबर दी है।

अगर एनटीपीसी की टनल की बात करें, तो सरकारी कंपनी ने इससे पहले ही इनकार किया है। एनटीपीसी की तरफ से बयान जारी कर दावा किया गया था कि उसकी टनल का जोशीमठ के भू धंसाव से कोई लेना देना ही नहीं है। एनटीपीसी की ये टनल विष्णुगाड पनबिजली परियोजना से जुड़ी है।

आदेश में एनडीएमए ने कहा है कि जोशीमठ के हालात के बारे में केंद्र और उत्तराखंड सरकार का कोई भी अफसर मीडिया से बात नहीं करेगा। बताया जा रहा है कि इसरो ने जोशीमठ में भू धंसाव पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट को भी एनडीएमए के आदेश के बाद इसरो की साइट से हटा लिया गया।

जोशीमठ के लोगों का आरोप है कि पास में एनटीपीसी की टनल और चारधाम यात्रा के लिए ऑल वेदर रोड बनाए जाने से भू धंसाव हो रहा है। एनटीपीसी ने तो पहले ही अपने टनल की वजह से जोशीमठ में हालात बिगड़ने से इनकार कर दिया था। अब केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी ऑल वेदर रोड को जोशीमठ की समस्या मानने से इनकार कर दिया है।

बारिश और हिमपात से जोशीमठ में खतरनाक बन चुके मकान और होटलों पर संकट गहरा सकता है। जोशीमठ के पास औली में भी काफी बर्फ गिरने की जानकारी मिली है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिन जोशीमठ और आसपास बर्फबारी और बारिश के पूरे आसार हैं। ऐसे में उत्तराखंड सरकार और चमोली जिले का प्रशासन हर हाल में प्रभावितों को सुरक्षित जगह ले जाना चाहता है।

कनवरीगंज के लोगों का कहना है कि नींव में पानी जाने की वजह से ही उनके मकानों की छतों और दीवारों पर दरारें पड़ रही हैं। इस समस्या से 20 से ज्यादा परिवार परेशान हैं। लोगों का कहना है कि रात में दरारें पड़ती हैं और चटकन की तेज आवाजें आती हैं। इससे उनकी रातों की नींद उड़ गई है।

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