वाईएसआरसीपी

Mission South Of PM Modi: दक्षिण भारत के राज्यों में लोकसभा की 134 सीटें हैं। बीजेपी का अब तक यहां प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। 2019 में बीजेपी ने दक्षिण भारत में सिर्फ 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। अन्य ने 36 और कांग्रेस ने 65 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बड़े बहुमत से बन तो गई, लेकिन इस सरकार के गठन से लेकर अब तक कांग्रेस में सिरफुटौव्वल जैसे हालात दिख रहे हैं! पहले सीएम पद को लेकर सिद्धारामैया और डीके शिवकुमार का पेच फंसा और अब मामला वरिष्ठ नेता और एआईसीसी मेंबर बीके हरिप्रसाद पर आकर अटका है।

आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी और तेलुगू देसम पार्टी (टीडीपी) के बीच एक बार फिर जंग होना तय है। हुआ ये है कि आंध्र प्रदेश की सीआईडी ने भ्रष्टाचार के एक मामले में राज्य के पूर्व सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू को गिरफ्तार कर लिया है।

वाईएस शर्मिला को तेलंगाना में पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है। वाईएस शर्मिला तेलंगाना में चंद्रशेखर राव सरकार के खिलाफ लगातार आंदोलन भी कर रही हैं। दो बार पुलिस ने उनको वहां गिरफ्तार भी किया। खास बात ये है कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ चंद्रशेखर राव के खिलाफ कांग्रेस भी ताल ठोक रही है।

बीजेडी और वाईएसआरसीपी की तरफ से दिल्ली में ट्रांसफर और पोस्टिंग संबंधी बिल को समर्थन दिए जाने से मोदी सरकार के पाले में 128 सांसद हो रहे हैं। जबकि, राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा अभी 120 का है। वहीं, बाकी एकजुट विपक्ष के साथ 94 सांसद हैं। इस तरह गणित में मोदी सरकार का पलड़ा भारी दिख रहा है।

राज्यसभा में एनडीए के 105 सदस्य हैं। नामित सदस्य भी सरकार के पक्ष में वोट देंगे। इसके बाद सरकार को बिल पास कराने के लिए बहुमत के वास्ते 9 और सांसदों की कमी पड़ रही थी। ये कमी बीजेडी और वाईएसआरसीपी के सांसदों से आसानी से पूरी हो जाएगी। राज्यसभा में बीजेडी और वाईएसआरसीपी के 9-9 सांसद हैं।

डीके शिवकुमार को कर्नाटक का सीएम पद न मिलना और अब अहम विभाग न सौंपा जाना कर्नाटक में कांग्रेस के लिए दिक्कत का सबब बन सकता है। शिवकुमार के भाई और कांग्रेस सांसद डीके सुरेश पहले ही कह चुके हैं कि उनके भाई ने डिप्टी सीएम का पद लेना स्वीकार भले कर लिया, लेकिन वो सोचेंगे कि आगे क्या कदम उठाना है।

नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके खिलाफ 19 विपक्षी दल एक हो गए हैं। वहीं, 3 विपक्षी दलों ने इस मौके पर मोदी सरकार के साथ खड़े होने का एलान किया है। इन दलों ने बहिष्कार न करने की अपील भी दूसरे विपक्षी दलों से की है।

लग रहा था कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत अब अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष के गठबंधन का सबब बनेगा, लेकिन जिस तरह कांग्रेस ने तमाम विपक्षी दलों को सिद्धारामैया के शपथग्रहण से दूर रखा, उससे सवाल उठ रहे हैं कि जब ऐसे मौके पर ही विपक्ष एकजुट नहीं है, तो लोकसभा चुनाव के लिए हाथ कैसे मिलाएंगे!

दोनों दलों ने पहले भी कई मौकों पर एनडीए के पक्ष में राज्यसभा में वोटिंग की है। इन दलों के सहयोग से बीजेपी ने अनुच्छेद 370 को भी रद्द करवा लिया था। इसके अलावा कुछ विपक्षी वोटों में सेंधमारी की जुगत भी बन सकती है। ऐसे में माना यही जा रहा है कि बीजेपी अपने उम्मीदवार को जिताने में कामयाब हो जाएगी।