भले ही केंद्र सरकार ने आपके सपनों के घर को पूरा करने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के फंड के लिए मंजूरी दे दी हो लेकिन अभी तक अधूरे पड़े मकानों में काम तक शुरू नहीं किया गया है। वहीं दूसरी ओर विशेषज्ञ इस ढ़िलाई की वजह कुछ और ही बता रहे हैं।
40 लाख रुपये तक कीमत वाले मकानों के आकार में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज हुई है। हालांकि दूसरे शहरों में भी बिल्डर तेजी से मकानों का आकार घटा रहे हैं, लेकिन एनसीआर में छोटे घरों की डिमांड और युवाओं की खरीद क्षमता में इजाफे को इसका बड़ा कारण माना जा रहा है।