बेसिलस कैलमेट-ग्यूरिन (BCG) वैक्सीन लगभग 100 साल पहले तैयार की गई थी। इससे ट्यूबरकुलोसिस या टीबी (तपेदिक) के बैक्टीरिया के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा होती है।
देश में कोरोना संकट के बीच एक राहत की उम्मीद नजर आई है। कोरोना के इलाज के लिए 90 साल पुरानी एक दवा के क्लीनिकल ट्रायल को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।
डब्ल्यूएचओ ने आगे चेताते हुए कहा, "बीसीजी वैक्सीन बच्चों में ट्यूबरक्लोसिस के गंभीर परिणामों को रोकने में मददगार होती है लेकिन स्थानीय आपूर्ति होने पर इससे बीमारी बढ़ने और ट्यूबरक्लोसिस के चलते मौत के मामलों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।"
वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में पाया कि जिन देशों में BCG टीका लगने की पॉलिसी नहीं है, वहां मरनेवालों की संख्या ज्यादा है, जैसे कि अमेरिका, इटली, स्पेन और कई यूरोपीय देश। जबकि भारत में कोरोना संक्रमण बहुत ही कंट्रोल में है, BCG टीका इसकी एक बड़ी वजह हो सकता है।
भारत समेत कई देशों में जन्म के बाद नवजात शिशु को बीसीजी का टीका लगाया जाता है। यह टीबी यानी तपेदिक और सांस से जुड़ी अन्य बीमारियों से बचाव के लिए दिया जाता है।