book review

पुस्तक के अंत में लेखक ने एक पृष्ठ भविष्य के खेल के बारे में लिखा है जो पाठक को बड़े ही ध्यान से पढ़ना चाहिए क्योंकि भारत को घाव देने का पाकिस्तानी और आईएसआई का खेल अभी भी सतत चल रहा है। भारत में अभी भी पाकिस्तान के पाकिस्तान के गुर्गे हर जगह हैं। पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे आये दिन सोशल मीडिया पर गूंजते रहते हैं।

Book Review: यह पुस्तक हिन्दुओं को क्यों पढ़नी चाहिए लेखक की इस पंक्ति से पता चला जाता है। पुस्तक का प्राक्कथन कितना जबरदस्त है इसका प्रमाण पाठक को इस पंक्ति से मिल जाएगा,”कौन लोग थे, जो राज्य व्यवस्था में बैठे इन मक्कार वामपंथियों के सहायक थे

जैसे छांव कूदती है न, ठीक ऐसे ही खयाल कूदते हैं जेहन में, छम से। गुलजार साहब उन खयालों को बटोरकर कागज पर रख देते हैं और नज्म बन जाती है। गुलजार साहब कहते हैं- “मैं अपनी पहचान चाहता था, अपना मुकाम चाहता था, और लिखने से बेहतर मुझे कोई काम नहीं लगता था।”