Gyanvapi Masjid

एएसआई ने इस बीच बीते 7 दिन में ज्ञानवापी मस्जिद का काफी सर्वे कर लिया है। मुख्य गुंबद, पश्चिम की दीवार, हॉल और एक तहखाने को एएसआई की टीम ने देखा। एएसआई की टीम के साथ आईआईटी कानपुर के भी विशेषज्ञ हैं। आईआईटी के विशेषज्ञ ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे में एएसआई की मदद करेंगे।

Dhirendra Shastri On Gyanvapi: धीरेंद्र शास्त्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ज्ञानवापी को मस्जिद नहीं है पहले तो ये कहना बंद करो। ज्ञानवापी भगवान शिव का मंदिर है। नंहू हिंसा को लेकर उन्होंने कहा, देश का दुर्भाग्य है कि सनातनी हिंदू जो इस प्रकार का कार्य देख रहा है। सभी लोग जाग जाए।

ज्ञानवापी मस्जिद के 2 तहखाने अभी बंद हैं। जब सिविल जज सीनियर डिवीजन ने एडवोकेट कमिश्नर से सर्वे कराया था, तब मुस्लिम पक्ष ने इन दो तहखानों को नहीं खोला था। अब सुप्रीम कोर्ट से भी वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर के सर्वे के लिए कहा गया है। ऐसे में तहखाने भी खोले जाएंंगे।

इससे पहले वाराणसी के जिला जज ने एएसआई को ज्ञानवापी के सर्वे के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया था। जिला जज ने साफ कहा है कि इस सर्वे के दौरान कोई खोदाई या तोड़फोड़ नहीं की जाएगी और मस्जिद के ढांचे को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा। यही शर्त इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी रखी है।

हिंदू पक्ष का दावा है कि 1669 में औरंगजेब की तरफ से वाराणसी (काशी) में आदि विश्वेश्वर मंदिर को ढहाकर वहां ज्ञानवापी मस्जिद तामीर कराई गई। हिंदू पक्ष की 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में माता शृंगार गौरी की रोज पूजा-अर्चना करने देने की याचिका कोर्ट में दी है। इस खबर में पढ़िए ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद की गाथा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका खारिज करते हुए कुछ शर्तों के साथ वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के एसआई सर्वे को हरी झंडी दिखा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जानिए इसपर किसने क्या कहा है।

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आ गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है। मुस्लिम पक्ष ने एएसआई सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जहां से मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा गया था।

वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के कोर्ट में 4 हिंदू महिलाओं ने अर्जी देकर ज्ञानवापी परिसर स्थित मां शृंगार गौरी की पूजा-अर्चना की मंजूरी मांगी है। 1991 से ये पूजा-अर्चना बंद है। इसके अलावा एक अन्य अर्जी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर पर हिंदुओं ने दावा जताया है। इसी मामले में सर्वे का आदेश दिया गया था।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मुस्लिम पक्ष के वकील हुजैफा अहमदी ने मामला उठाया। उन्होंने कोर्ट को ये भी बताया था कि एएसआई की टीम ज्ञानवापी मस्जिद में खोदाई कर रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस पर कोर्ट को बताया था कि हुजैफा अहमदी का ये दावा गलत है। उन्होंने कहा था कि कोई खोदाई नहीं हो रही है।

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के मसले पर एक तरफ कानूनी जंग चल रही है। वहीं, मुस्लिम पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे को रोकने की मांग कर रहा है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत ये सर्वे तो क्या हिंदू पक्ष केस ही नहीं चला सकता और सर्वे भी नहीं कराया जा सकता।


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