भारतीय ज्ञान परंपरा में शरीर की प्राथमिक या ऊपरी परत को अन्नमय कोष कहा गया है। मनुष्य शरीर का निर्माण अन्न से होता है। उपनिषद् वैदिक साहित्य के दर्शन भाग कहे जाते हैं।