Terrorist Yasin Malik: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गृह सचिव अजय भल्ला को लिखे पत्र में इस मामले से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं की गंभीरता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यासीन मलिक को बिना किसी आधिकारिक आदेश के सुप्रीम कोर्ट में लाना गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय है। यासीन मलिक के जीवन पर किसी भी संभावित जोखिम या संभावित अप्रिय घटनाओं से बचने के लिए की गई कार्रवाई आवश्यक समझी गई।
जम्मू-कश्मीर संबंधी अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद से वहां का प्रशासन केंद्र सरकार देख रही है। केंद्र सरकार के शासन के दौरान जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। इसकी वजह से आतंकवाद का पोषण करने वाले और पत्थरबाजी कराने वाले लोग परेशान हैं। ये लोग पुराना दौर लाना चाहते हैं।
महबूबा किस तरह दुर्दांत आतंकी यासीन मलिक का पक्ष लेती रहीं, ये इसी से पता चलता है कि साल 2019 में भी जब यासीन को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, तो महबूबा ने बयान दिया था कि आप इंसानों को कैद कर सकते हैं, लेकिन उनके विचारों को कभी कैद नहीं किया जा सकता।
रूबिया सईद का 8 दिसंबर 1989 को अपहरण हुआ था। तब केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी और जेकेएलएफ के 5 आतंकियों को रिहा करने के बाद 13 दिसंबर को रूबिया को भी छोड़ दिया गया था। टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को 2019 में जब एनआईए ने गिरफ्तार किया, तो उस पर इस मामले में भी केस चलने लगा।
आपको लगता होगा कि यासीन मलिक फिर जेल भी तो गया होगा। जी नहीं। पकड़ा भले ही कई बार गया हो, लेकिन उसे उसके इन घिनौने आतंकी कर्मों की वजह से किसी सरकार ने अब तक सजा नहीं दिलाई थी। मोदी सरकार के दौर में उसके पापों का हिसाब लिए जाने की शुरुआत हुई।