हुर्रियत सिर्फ उन्हीं छात्रों को ये चिट्ठी देता था, जो उसकी विचारधारा को मानता था। फिर एडमिशन के लिए 10 लाख रुपए भी छात्र के परिजनों से लिए जाते थे। हर साल हुर्रियत इस तरीके से 4 करोड़ रुपए हासिल करता था। ये पैसा हुर्रियत आतंक की फंडिंग और पत्थरबाजों पर खर्च करता था।