रूबिया सईद का 8 दिसंबर 1989 को अपहरण हुआ था। तब केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी और जेकेएलएफ के 5 आतंकियों को रिहा करने के बाद 13 दिसंबर को रूबिया को भी छोड़ दिया गया था। टेरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को 2019 में जब एनआईए ने गिरफ्तार किया, तो उस पर इस मामले में भी केस चलने लगा।
वो जम्मू-कश्मीर के बड़े आतंकियों का आका होगा, जिसे आतंकवाद के मामले में सजा सुनाई जाएगी। यासीन ने एयरफोर्स के 4 अफसरों की हत्या की थी और केंद्रीय गृहमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया को अगवा कर 5 आतंकियों को जेल से रिहा भी कराया था।
पुलिस महानिदेशक ज्योति महंता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'राज्य के लिए और असम पुलिस के लिए यह एक महत्वपूर्ण दिन है। आठ उग्रवादी समूहों के कुल 644 कार्यकर्ताओं और नेताओं ने आत्मसमर्पण किया है।'