Mosque

Gyanvapi Case: उच्च न्यायालय अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें वाराणसी अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें हिंदू भक्तों को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर व्यास मंच पर प्रार्थना करने की अनुमति दी गई थी।

UP News: हालांकि, यह कोई पहली बार नहीं है कि जब प्रदेश में अवैध लाउडस्पीकर के खिलाफ कार्रवाई तेज की गई, बल्कि इससे पहले भी इस तरह की कार्रवाई तेज की जा चुकी थी। बहरहाल, अब आगामी दिनों में योगी सरकार की ओर से क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

इससे पहले वाराणसी के जिला जज ने एएसआई को ज्ञानवापी के सर्वे के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया था। जिला जज ने साफ कहा है कि इस सर्वे के दौरान कोई खोदाई या तोड़फोड़ नहीं की जाएगी और मस्जिद के ढांचे को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकेगा। यही शर्त इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी रखी है।

Jammu Kashmir: अब एक बार फिर पीडीपी चीफ मुफ्ती (Mufti) ने केंद्र की मोदी सरकार पर तो हमला किया ही है साथ ही सेना पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। बीते दिन शनिवार को महबूबा मुफ्ती ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक ट्वीट किया था। अपने इस ट्वीट में ही पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने ये आरोप लगाए हैं...

9 साल के अपने कार्यकाल में मोदी पहली बार मिस्र की यात्रा पर हैं साथ ही ये साल 1997 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली मिस्र यात्रा होगी | 

बच्चे के घरवालों का आरोप है कि बीती 15 मई को बच्चा इमाम के पास पढ़ने गया था। इसके बाद वो अचानक घर लौट आया और कई दिन तक सहमा हुआ दिखा। जब उसे घरवालों ने अब्दुल सलाम के पास पढ़ने के लिए फिर भेजने की कोशिश की, तो बच्चे ने मना कर दिया। इसके बाद घटना का भेद खुला।

ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर यहां पहले बने आदि विश्वेश्वर के भव्य मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था। हिंदू पक्ष के मुताबिक यहां मंदिर की दीवारों पर ही मस्जिद बना दी गई। मस्जिद में कोर्ट के आदेश पर सर्वे भी हुआ था। सर्वे से पता चला था कि मस्जिद में कई जगह हिंदू देवी-देवता और प्रतीक चिन्ह हैं। मस्जिद के गुंबदों के भीतर भी पिरामिड जैसे पुराने गुंबद होने की जानकारी मिली थी।

नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े यूपी के इलाकों में पिछले कुछ समय से बेतहाशा आबादी बढ़ रही है। इनमें अल्पसंख्यक यानी मुस्लिमों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके साथ ही इन इलाकों में मस्जिद और मदरसों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। एक टीवी चैनल की ग्राउंड रिपोर्ट से ये तस्वीर सामने आई है।

लेख के बारे में कहा गया है कि ‘नवजीवन’ अखबार के 27 जुलाई 1937 के अंक में ये छपा था। बताया गया है कि श्रीराम गोपाल शरद की एक चिट्ठी के जवाब में महात्मा गांधी ने मंदिर और मस्जिद के बारे में अपनी राय जताई थी। इस लेख पर ‘मंदिरों को तोड़ कर बनाई गईं मस्जिदें गुलामी की चिन्ह’ का शीर्षक लगा है।

हिंदू पक्ष ने कोर्ट में दाखिल अर्जी में दावा किया था कि कुतुबमीनार परिसर में हिंदू और जैन देवी-देवताओं की तमाम मूर्तियां हैं। इन देवी-देवताओं की मूर्तियों की बहाली और पूजा के अधिकार की मांग कोर्ट से की गई थी, लेकिन कानून का पेच फंस जाने से इस अर्जी पर हिंदू पक्ष को अब कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।