संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने के बाद ये बड़ा फैसला है। इससे पहले गुज्जर समुदाय के किसी नेता को राज्यसभा में नहीं देखा गया है। मोदी सरकार ने साल 2019 में अनुच्छेद 370 को संसद से रद्द करा दिया था। जिसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था।